Project to plant four crore saplings can be snatched from madhya pradesh: digi desk/BHN/भोपाल/भारत सरकार के एक फैसले से मध्य प्रदेश सरकार की 1525 करोड़ रुपये लागत की पौधारोपण परियोजना संकट में आ गई है। इस फैसले के अनुसार अंडमान-निकोबार में काटे गए पेड़ों के बदले मध्य प्रदेश में पौधे नहीं रोपे जा सकते हैं। उधर, वन विभाग प्रदेश के 45 जिलों में 40600 हेक्टेयर भूमि का चयन कर 1100 केंद्र तय कर लिए और चार करोड़ पौधे रोपने की कार्ययोजना भी तैयार कर ली। इस तैयारी पर करीब दो लाख रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं। अधिकारियों को आशंका है कि नए फैसले के बाद प्रदेश से यह परियोजना छिन सकती है। हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि ऐसा हुआ तो वे उचित मंच पर अपनी बात रखेंगे।
रक्षा मंत्रालय की एक परियोजना के लिए भारत सरकार ने अंडमान-निकोबार में भूमि दी है। वहां बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2020 में मध्य प्रदेश को पौधारोपण करने को कहा था। परियोजना के लिए 1525 करोड़ रुपये मंजूर किए गए और कार्ययोजना मांगी गई। इस राशि से चार करोड़ से ज्यादा पौधे रोपे जाने हैं। वन विभाग ने मैदानी अधिकारियों की मदद से कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत भी कर दी। पिछले माह नया फैसला आया और राज्यों को निर्देश भी जारी कर दिए गए। इसके तहत सिंचाई या अन्य किसी परियोजना के लिए किसी जिले या राज्य में पेड़ काटे जाते हैं तो भरपाई के लिए उसी जिले या राज्य में पौधे लगाए जाएंगे।
इसलिए परियोजना छिनने का खतरा
हाल ही में आए निर्देशों में कहा गया है कि जिस जिले में पेड़ काटे जाएंगे, अव्वल तो उसी में पौधे लगाए जाएं। यदि वहां भूमि न हो तो पड़ोस के जिले में लगाएं। उस राज्य में आवश्यकता के अनुसार भूमि नहीं मिलती है तो ऐसे राज्य में पौधारोपण हो, जहां उसके भौगोलिक क्षेत्र का 20 प्रतिशत या उससे कम वन क्षेत्र हो। मध्य प्रदेश में 29 प्रतिशत वन क्षेत्र है।
इनका कहना है
हम कार्ययोजना तैयार कर चुके हैं। वैसे तो यह पुराना निर्णय है, इसलिए बदलने की संभावना कम है, फिर भी 20 प्रतिशत या उससे कम वन क्षेत्र वाले राज्य के चयन को लेकर कोई निर्णय होता है तो हम अपना पक्ष उचित मंच पर रखेंगे।
– सुनील अग्रवाल, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक