“खुशियों की दास्तां”
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ सतना जिले के नवस्ता ग्राम के अनुसूचित जाति वर्ग के किसान बाल्मीक बागरी और रामसुख बागरी ने परंपरागत खेती छोड़कर व्यावसायिक खेती के रूप में पपीते और अनार के बाग लगाए। कोरोना संक्रमण काल में उनके अनार और पपीते की फसल की खूब बिक्री भी हुई। उद्यानिकी फसलों की ओर रुख कर चुके इन किसानों ने खेती-किसानी को लाभ का धंधा बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।
सतना-नागौद मार्ग के समीप नवस्ता ग्राम में पपीते और अनार के बागान देखकर महाराष्ट्र और आंध्रा के बागानों का भ्रम होता है। नवस्ता के किसान बाल्मीक बागरी ने इसकी शुरुआत करते हुए परंपरागत खेती छोड़कर व्यावसायिक खेती शुरू की। धान और गेहूं की फसल की बजाय अनार और पपीते के बाग लगाए, जिससे उनकी आय लगभग दस गुना बढ़ गई है। कोरोना काल में उनकी आमदनी और फल विक्रय को पंख लग गये, जब हर व्यक्ति अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने फलों का सेवन करने लगा। इस वर्ष बाल्मीक बागरी लगभग 600 क्विंटल पपीता खुले मार्केट में बेंचकर मुनाफा कमा चुके हैं। उनके अनार के बाग में लगभग 2500 पौधे अनार के फलों से लदे हुए हैं।
बाल्मीकि और रामसुख बागरी बताते हैं कि तीन साल पहले मनरेगा योजना में स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार अनार के पौधे ब्लॉक ऑफिस से ले जाकर खेतों में लगाएं, फिर दमोह से पपीता के ताइवान वैरायटी 786 के बीज लाकर अपने खेत में ही पपीते की नर्सरी तैयार की। एक साल में पपीते फल देने लगे। पपीते के पेड़ तीन साल तक लगातार फल देते हैं। पौधरोपण का काम हर साल जारी रखा ताकि उनकी फसल बाजार के लिए हमेशा तैयार रहे।
बिना किसी प्रकार की मदद और तकनीकी ज्ञान के रामसुख बागरी और बाल्मीक खुद ही कृषि वैज्ञानिक से कम जानकारी नहीं रखते। फलदार पौधों को पाला से बचाने स्प्रिंकलर सिस्टम से ठंड के मौसम में पानी की बौछार करते हैं, तो ग्रीष्म ऋतु में ड्रिप सिस्टम से पौधों को पानी देते हैं। बाग में एक छोटा सा तालाब बनाकर उसमें पानी का संग्रहण भी करते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। बाल्मीक बागरी और रामसुख बागरी की मेहनत और लगन तथा बागवानी की ओर रुझान देखकर गांव के अन्य किसान भी कायल हो चुके हैं। वह भी अब अपने खेतों में परंपरागत धान और गेहूं की फसल के स्थान पर बाग तैयार करने की मंशा रखने लगे हैं। बाल्मीक बागरी अन्य किसानों को भी परंपरागत खेती छोड़ नकदी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन दोनों ही जागरूक किसानों ने कृषि को लाभ का धंधा बनाकर दिखा दिया है कि परंपरागत खेती के साथ फलों की खेती से आमदनी कई गुना बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की ओर आसानी से बढ़ा जा सकता है।
अब तक 77 हजार 185 सहयोगियों ने कराया एडाप्ट एन आँगनवाड़ी अभियान में पंजीयन
प्रदेश में बच्चों के पोषण आहार के व्यवस्थित वितरण और कुपोषण को दूर करने के लिए आँगनवाड़ी केन्द्रों को ‘एडाप्ट एन आँगनवाड़ी’ अभियान के तहत गोद लिया जा रहा है। अब तक प्रदेश में लगभग 77 हजार 185 सहयोगियों द्वारा पंजीयन कराया गया है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा 63 हजार 344 सहयोगियों से संपर्क कर संबंधित आँगनवाड़ी केन्द्र में आवश्यक सहयोग के लिए सहमति प्राप्त कर ली गई है।
महाविद्यालयों, छात्रावासों और विभागीय कार्यालयों का होगा नियमित निरीक्षण
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी महाविद्यालय, छात्रावास और विभागीय कार्यालयों का नियमित निरीक्षण किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिये थे।
जिले के अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य माह में दो बार जिले के अधीनस्थ महाविद्यालयों और छात्रावासों का निरीक्षण करेंगे। क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक माह में पाँच बार संभाग के अधीनस्थ महाविद्यालयों और छात्रावासों का निरीक्षण करेंगे। उच्च शिक्षा संचालनालय के अधिकारी और विभाग के मंत्रालयीन अधिकारी माह में एक बार महाविद्यालयों, छात्रावासों, विभागीय कार्यालयों का निरीक्षण करेंगे।
निरीक्षण में संबंधित अधिकारी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ की उपस्थिति, कक्षावार समय-सारणी का पालन, विषयवार शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात, परिसर की साफ-सफाई, पेयजल, शौचालय, महिला शौचालय की व्यवस्था, छात्राओं के लिए कॉमन रूम, पुस्तकालयों में पुस्तकों की पर्याप्त संख्या एवं सुचारू वितरण, छात्रावास व्यवस्था, क्रीडा सुविधाएँ, एनसीसी एवं एनएसएस गतिविधियाँ, हितग्राहीमूलक योजनाओं का प्रचार-प्रसार और क्रियान्वयन, विद्यार्थियों के लिए हेल्प डेस्क की व्यवस्था, कार्यालय संबंधी व्यवस्था, निर्माण कार्यों की स्थिति तथा कोविड प्रोटोकॉल का पालन आदि बिन्दुओं पर अवलोकन करेंगे।