Law College Admission:digi desk/BHN/भोपाल/ प्रदेश के तकरीबन दो दर्जन सरकारी लॉ कॉलेज बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इसके चलते शासन ने इन कॉलेजों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसलिए आगामी सत्र 2021-22 की काउंसिलिंग में उक्त कॉलेजों को शामिल नहीं किया जाएगा। इससे प्रदेश में इन कॉलेजों की 1200 सीटों पर प्रवेश नहीं दिए जाएंगे। अब प्रदेश में एक दर्जन जिलों में एक-एक सरकारी और दस जिलों में बारह निजी लॉ कॉलेज शेष रह गए हैं, जिनकी सीटों पर प्रवेश लेने विद्यार्थियों को ज्यादा मशक्कत करनी होगी।
बीसीआइ ने लॉ कॉलेज में संचालित कोर्स बीएएलएलबी, एलएलबी और एलएलएम के मापदंड तय किए हैं। अब एलएलएम संचालित करने के लिए भी बीसीआई की मंजूरी अनिवार्य हो गई है। बीसीआइ के मापदंडों के मुताबिक कॉलेजों में व्याख्याताओं की नियुक्ति छात्र संख्या के हिसाब से होना चाहिए। विषय विशेषज्ञों की भी नियुक्ति कोर्स के अनुसार हो। इसके साथ पर्याप्त संख्या में कक्षाएं, लॉ कोर्स से जुड़ी पुस्तकों की एक विधिवत लाइब्रेरी जैसी कई सुविधाएं अनिवार्य हैं। लेकिन दो दर्जन सरकारी लॉ कॉलेजों ने बीसीआई के मापदंडों को नजरअंदाज कर दिया। लॉ कॉलेज के संचालन के लिए जरूरी शर्तें पूरी नहीं करने पर बीसीआइ ने 20 लॉ कॉलेजों पर शिकंजा कसा है। इससे इन लॉ कालेजों की मान्यता खतरे में है। इसका असर उनकी 1200 सीटों पर पड़ा है, जो काउंसिलिंग में शामिल नहीं होंगी।
स्टॉफ से लेकर फर्नीचर तक स्थानांतरित होगा
लॉ कालेज बंद होने से यहां पदस्थ स्टाफ को दूसरे कालेजों में स्थानांतरित किया जाएगा। यहां तक कि उनका फर्नीचर भी दूसरे कालेजों को मुहैया कराया जाएगा। उनके भवन को शासन अधिग्रहित कर दूसरे कार्यालयों को सौंपेंगे। इससे शासन को इन 20 कालेजों के बंद होने से ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पडेगा। इसमें राजगढ़, भिंड, ग्वालियर, नरसिंहपुर, उज्जैन, होशंगाबाद, सीहोर, शिवपुरी, मंडला, बालाघाट, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, बैतूल, रायसेन, हरदा, सीधी, सागर और श्योपुर के लॉ कॉलेज शामिल हैं।