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agriculture: मौसम बदलने से लहसुन में थ्रिप्स के साथ कुकरा रोग

agriculture problem:digi desk/ BHN/ मौसम के बार-बार रुख बदलने का असर मसाला फसलों पर दिख रहा है। सबसे अधिक लहसुन व प्याज की फसलें प्रभावित हो रही हैं।मसाला फसलों में थ्रिप्स रोग का अटैक है। इससे यह फसलें दो से तीन दिन के अंदर ही पूरी तरह से हरी से पीली हो गई है। वहीं गढ़ाकोटा के चनौआ क्षेत्र में थ्रिप्स के साथ-साथ कुकरा रोग का अटैक है। इससे लहसुन की फसल सूखकर जलेबी की तरह गोल-गोल हो गई है। किसानों का कहना है कि वे लहसुन की प्याज को जीवित रखने के लिए अंतिम बार सिंचाई कर रहे हैं। यदि अब भी फसल नहीं बची तो इससे नुकसान पक्का है।

रैगुवां के किसान अखिलेश कुर्मी का कहना है कि मैंने पहली बार लहसुन की खेती की है। करीब 4 क्विंटल लहसुन बोया, लेकिन फसल पूरी तरह खराब हो रही है। दरारिया के किसान सत्तू पटेल दरारिया का कहना है कि उन्होंने प्रति एकड़ 60 हजार रुपये खर्च करके सोयाबीन बोया, लेकिन पहले थ्रिप्स रोग लगा। इसके बाद कुकरा रोग लगने से लहसुन की फसल खराब हो गई है। श्री पटेल का कहना है कि बादल छाने की वजह से लहसुन में रोग लग गया। दो बार दवा का छिड़काव कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी विभाग द्वारा लहसुन का बीमा भी नहीं कराया गया, इससे किसी तरह की राहत भी नहीं मिलेगी। यह किसानों को दोहरा नुकसान होगा।

देवरी में भी थ्रिप्स का असर

देवरी ब्लॉक में सबसे अधिक लहसुन व प्याज की बोवनी होती है। यहां के किसानों का कहना है कि महाराष्ट्र, नागपुर व छिंदवाड़ा में लहसुन की फसल पर थ्रिप्स का बहुत प्रकोप है। इससे देवरी का इलाका भी अछूता नहीं है। थ्रिप्स से फसलें पीली पड़ रही हैं। चिरचिटा मौजा के किसान वीरेंद्र चौरसिया का कहन है कि लहसुन में थ्रिप्स रोग का व्यापक असर दिखाई दे रहा है। इससे फसल को नुकसान है। लहसुन व प्याज की फसल सूखने लगी है। इसके बचाव के लिए हजारों रुपए की कीटनाशक का छिड़काव कर चुके हैं। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी आशीष पाटीदार का कहना है कि किसानों को थ्रिप्स रोग से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। इसके लिए कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाइयां अबिलंब छिड़काव की सलाह दी है।

वहीं सागर कृषि विज्ञान केंद्र सागर के विज्ञानी डॉ. केएस यादव ने बताया कि थ्रिप्स प्याज और लहसुन की फसल में लगने वाली एक आम बीमारी है। जो बार-बार हो जाती है और किसानों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाती है। सामान्यतः यह रोग थ्रिप्स नामक कीट से होता है, जो काफी महीन और सूक्ष्‌म होता है। थ्रिप्स रसचूसक कीड़े के नियंत्रण के लिए स्पाइनोसेड 45 एससी की 100 मिली मात्रा प्रति एकड़ छिड़काव करें।

क्या है थ्रिप्स रोग

डॉ. यादव के मुताबिक लहसुन व प्याज में थ्रिप्स (तैला) का रोग प्याज का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला कीट है। इस रोग से ग्रसित प्याज की पत्तियों पर धब्बे रस चूसने के कारण विकसित होते हैं, जो पीले, सफेद रंग में बदलते हैं। यह कीट बहुत छोटा पीले से, गहरे भूरे रंग का होता है। इसका जीवन काल 8-10 दिन होता है। यह हरी पत्तियों के जोड़ में पाए जाते हैं, जहां यह नई निकलती पत्तियों का रस चूसते हैं। व्यस्क प्याज के खेत में जमीन में, घास पर और अन्य पौघो पर सुसुप्ता अवस्था में रहते है। सर्दियों में थ्रिप्स (तैला) कंद में चले जाते है और अगले वर्ष संक्रमण के स्त्रोत का कार्य करते हैं। इससे ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है, जिनकी पत्तियां घूमी हुई होती है। यदि प्रकोप वृद्धि की छोटी अवस्था में लगता है तो कंद निर्माण पूरी तरह बंद हो जाता है और पौधा धीरे धीरे मर जाता है

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