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MP Cabinet : पिछली बार के 10 मंत्रियों को इस कारण नहीं मिला मंत्रिमंडल में स्थान, कई दिग्गज शामिल

  1. शिवराज के 10 मंत्रियों को इस कारण नहीं मिला मंत्रिमंडल में स्थान
  2. गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, डा.प्रभुराम चौधरी समेत कई दिग्गज
  3. मोहन कैबिनेट में 28 मंत्रियों ने ली है शपथ

Madhya pradesh bhopal mp cabinet expansion last time 10 ministers not get place in mohan cabinet for this reason: digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश में सोमवार को राजभवन में आयोजित समारोह में डा. मोहन यादव मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया, जिसमें 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। शिवराज सरकार के दस मंत्रियों को इस बार नई सरकार में अवसर नहीं मिल पाया। इनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, मीना सिंह, डा.प्रभुराम चौधरी, ऊषा ठाकुर, सहित 10 विधायक मंत्री नहीं बन पाए।

पिछली बार के इन मंत्रियों को इस कारण नहीं मिला मंत्रिमंडल में स्थान

गोपाल भार्गव : नौवीं बार विधायक बने। 70 वर्ष से अधिक उम्र। सागर से सिंधिया खेमे के गोविंद सिंह राजपूत को जातिगत समीकरणों के आधार पर लिया गया। इस कारण सागर जिले से आने वाले भार्गव को मौका नहीं मिला।

भूपेंद्र सिंह : शिवराज के करीबी मंत्री थे। सागर से गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाए जाने के कारण भूपेंद्र सिंह जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण में फिट नहीं बैठे। गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के बीच विवाद से दोनों का नुकसान हुआ।

बृजेंद्र प्रताप सिंह : पन्ना से विधायक और शिवराज सरकार में मंत्री रहे। क्षत्रिय समाज से हैं, पर जातिगत समीकरणों में फिट नहीं बैठे। मंत्री रहते हुए उनके कुछ करीबियों और रिश्तेदारों की शिकायत भी गुपचुप तरीके से पार्टी संगठन में हुई थी।

मीना सिंह : मानपुर से पांचवीं बार विधायक बनीं। शिवराज सरकार में मंत्री रहीं। आदिवासी वर्ग से संपतिया उइके को पार्टी ने मंत्री बनाया। विभाग में अधिकारियों से तालमेल अच्छा नहीं होने की बातें भी उनके कार्यकाल में आती रहीं।

हरदीप सिंह डंग : सुवासरा से चौथी बार विधायक बने हैं। वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। पिछली सरकार में मंत्री भी थे। मालवा-निमाड़ से मुख्यमंत्री को मिलाकर कैबिनेट में सात सदस्य हो चुके हैं, इसलिए वह क्षेत्रीय समीकरण में सटीक नहीं बैठे।

ओम प्रकाश सखलेचा- पूर्व मंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे हैं। पिछली सरकार में मंत्री भी थे। उनके पास एमएसएमई विभाग था। मंत्री के रूप में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं माना जाता। मालवांचल से और लोगों को मंत्री बनाने से क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ सकता था।

बिसाहूलाल सिंह : कांग्रेस से भाजपा में आए। बड़े आदिवासी नेता की छवि है। सातवीं बार विधायक बने। उम्र 73 वर्ष हो चुकी है। आदिवासी वर्ग से चार मंत्री बनाए गए, इस कारण वह समीकरण में भी फिट नहीं बैठे।

ऊषा ठाकुर : इंदौर से कैलाश विजवर्गीय और तुलसीराम सिलावट को मंत्री बनाए जाने के कारण क्षेत्रीय समीकरण में वह पिछड़ गईं। मंत्री रहते हुए विभागीय काम में उनका बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं माना गया था।

डा. प्रभुराम चौधरी : सांची से विधायक हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए थे। मंत्री रहते प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा।

बृजेद्र सिंह यादव : मुंगावली सीट से तीसरी बार विधायक बने हैं। वह यादव समाज से आते हैं। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के अलावा कृष्णा गौर भी महिला हैं, इस कारण जातिगत समीकरण के चलते उन्हें बाहर होना पड़ा।

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