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Satna: शहर में तेज़ी से पांव पसार रहा आई फ्लू, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

आई फ्लू से रहें सावधान, रोजाना पहुंच रहे 70 से ज्यादा केस

वायरस के चलते आंखें हो रही लाल, एडवायजरी जारी

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले में आई फ्लू ने दस्तक दे दी है। एक सप्ताह से प्रतिदिन 50 से 70 मरीज आई फ्लू के जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के जानकारों की माने तो मौसम में नमी के कारण आंखों का संक्रमण फैलता है। इस वायरस के इसके कारण आंखें लाल हो जाती है। साथ ही आंखें सूजी और चिढ़ी हुई, आंखों से पानी या चिपचिपा पदार्थ निकलने, आंखों में जलन या खुजली महसूस होने, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, सुबह पलकों पर पपड़ी जमने सहित कई परेशानियां देखने को मिलती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि जिनकों ऐसे लक्षण दिखाई दें वे जांच अवश्य करवाएं। वहीं मरीज के संपर्क में आने से बचें ये बीमारी संक्रमण से फैलती है। किसी को आई फ्लू है तो उसके संपर्क में आने से बचें। अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं, अपनी आंखों को छूने से बचें, यदि आपको वायरल कंजक्टिवाइटिस है तो दूसरों के साथ तोलिया, वॉश क्लॉथ या आंखों का मेकअप साझा करने से बचें।

आई-फ्लू या कन्जंक्टिवाइटिस या पिंक-आई क्या है

बारिश का मौसम यानी कंजेक्टिवाइटिस मौसम। आंखों की आई-फ्लू नामक बीमारी बारिश के मौसम में बहुत तेजी से फैलती है। इसे आम भाषा में आंख आना भी कहते हैं। आई-फ्लू एक बेहद संक्रामक नेत्र रोग है। आई-फ्लू बरसात के समय विषाणुओं (एडिनोवायरस टाईप 8 व 19) या जीवाणुओं (स्टेफायलोकोकस, न्यूमोकोकस, हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा आदि) के संक्रमण से होता है। शुरुआत में आई-फ्लू नामक इन्फेक्शन एक आंख में होता है, पर सावधानी न बरतने पर यह दूसरी आंख में हो सकता है। इसमें पहले आंख लाल होना शुरू होती है और कुछ घंटों में ही जलन, चुभन, पलकों में सूजन होने लगती है तथा आंख से पानी आने लगता है। संपर्क में आने पर आई-फ्लू बहुत तेजी से फैलता है। वायरल आई-फ्लू में कभी-कभी कानों के पास कनपटी पर सूजन भी हो सकती है। वायरल कन्जंक्टिवाइटिस से पीडि़त व्यक्ति को उपचार में देरी होने पर कॉर्निया में सूक्ष्म जख्म होने के कारण प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया) बढ़ जाती है। उपचार के अभाव में रोशनी में धुंधलापन हमेशा के लिए हो सकता है।

क्या हैं आई-फ्लू के लक्षण

नेत्र विशेषज्ञ बताते हैं कि आई फ्लू के लक्षणों में आंखें लाल होना व पलकों में सूजन होना, आंखों में दर्द, कंकड़ जैसी चुभन होना, पानी बहना, सवेरे उठते समय आंखें चिपक जाना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना (फोटोफोबिया) और दृष्टि में धुंधलापन होना लक्षण है। इसकी रोकथाम के लिए बरसात के मौसम में गंदे पानी से आंखें नहीं धोएं, बरसात के पानी से आंखों को बचा कर रखें। बरसात के मौसम में भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, स्वीमिंग पूल, झरने, तालाब में नहीं नहाएं। संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से बचें और संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने के बाद साबुन से हाथ अवश्य धोएं। आई-फ्लू होने पर बच्चों को चार-पांच दिनों के लिए स्कूल न भेजें। ऑफिस में कार्य करते समय दूसरों के सम्पर्क में कम से कम रहें। स्वच्छ तौलिया व रूमाल, स्टेराइल आई-वाइप का प्रयोग करें।

आई-फ्लू का इलाज और सावधानियां

नेत्र विशेषज्ञों से परामर्श कर एंटीबायोटिक, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स, एंटीबायोटिक आई आईन्टमेन्ट का प्रयोग करें। गहरे कलर का चश्मा पहन सकते हैं। आंखों को उबली हुई रूई या स्टेराईल आई-वाईप से 3-4 बार साफ करें। जिस आंख में संक्रमण हो उसे नीचे रखकर करवट लेकर सोएं। आई-फ्लू से पीडि़त रोगी की आंख में दवा डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि दवा के आगे वाला भाग रोगी की आंख और अंगुलियों को स्पर्श न करें। दवा डालने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन से धो लें। आई-फ्लू से पीडि़त व्यक्ति आँखों को साफ करने के लिए स्टेराईल आई-वाईप का उपयोग कर सकते हैं। आई-फ्लू से पीडि़त व्यक्ति अपना चश्मा, तोलिया, रूमाल, तकिया आदि अलग रखें। मानसून के दिनों में आई मेकअप का उपयोग कम से कम करें। अपने आई मेकअप को दूसरे के साथ सांझा नहीं करें।

डा पी.के श्रीवास्तव के ऊपर जिम्मेदारी

नेत्र विशेषज्ञ डां. अरूण त्रिवेदी के ऊपर पहले जिला कार्यक्रम प्रबंधक अंधत्व नियंत्रण समिति की जिम्मेदारी थी। उनके सेवा निवृत्त होने के बाद यह जिम्मेदारी सतना के प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डां. पीके श्रीवास्तव को अपने कार्य के साथ-साथ जिला कार्यक्रम प्रबंधक अंधत्व नियत्रण समिति का प्रभार भी सौपा गया है।

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