बालमित्र जिला बनाने जिला स्तरीय परिचर्चा
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ महिला बाल विकास और बाल संरक्षण विभाग सतना जिले के उचेहरा विकासखण्ड की परसमनिया अंचल की 10 ग्राम पंचायतों को कैलास सत्यार्थी चिन्ड्रन्स फाउण्डेशन के सहयोग से बालमित्र ग्राम पंचायतों के रूप में विकसित करने का कार्य कर रहा है। प्राथमिक रूप से 10 ग्राम पंचायतों को बालमित्र ग्राम बनाने की पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद बालमित्र जिला सतना बनाने की योजना भी है। बाल मित्र ग्राम के माध्यम से बालमित्र जिला निर्माण के लिये मंगलवार को कलेक्टर एव अध्यक्ष बाल संरक्षण समिति सतना अनुराग वर्मा की अध्यक्षता में जिला पंचायत के सभागार में परिचर्चा संपन्न हुई। इस अवसर पर बाल कल्याण समिति अध्यक्ष राधा मिश्रा, सदस्य जान्हवी त्रिपाठी, रेखा सिंह, चांदनी श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह सहायक संचालक श्याम किशोर द्विवेदी, बाल संरक्षण अधिकारी अमर सिंह चौहान, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के स्टेट कोआर्डिनेटर श्रीकांत यादव सहित सभी सीडीपीओ, बीईओ,. बाल कल्याण पुलिस अधिकारी श्रमं निरीक्षक समन्वयक चाइल्डलाइन, मातृछाया, समग्र सामाजिक सुरक्षा विस्तार अधिकारी भी उपस्थित थे।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि भारत देश की कुल आबादी का 40ः प्रतिशत भाग एक से 18 वर्ष के बच्चों का है। केंद्र और राज्य सरकार अनेक बाल कल्याण कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से उन्हें बुनियादी सुविधाएं देने और सर्वागीण विकास के लिए बड़ी राशि खर्च करती है। बच्चों के संरक्षण और उनके अधिकार दिलाने के कार्य में एनजीओ और पार्टनर संस्थाएं भी सरकार के साथ योगदान करती है। प्रदेश के 11 जिलों में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाऊंडेशन बच्चों के लिए कार्य कर रहा है। सतना जिले में उचेहरा विकासखंड की परसमनिया अंचल 10 ग्राम पंचायतों का चयन बाल मित्र पंचायत बनाने के लिए किया गया है। बाल मित्र पंचायत की अवधारणा है कि बिना किसी रूकावट बच्चों का बचपन अच्छा हो, उन्हें उनके सभी अधिकार मिले और वातावरण फ्रेडली हो कि बच्चे अपनी समस्याओं को खुलकर शेयर कर सकें। कलेक्टर ने कहा कि शासकीय सेवा में किसी नवाचार की जरूरत नहीं है। हम अपना दायित्व और निर्धारित कर्तव्य को भली भांति लोगों की बेहतरी के लिए मन से समर्पित भावना के साथ निर्वहन करें। यही नवाचार से बढ़कर उपलब्धि होगी।
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा ने कहा कि बाल मित्र ग्राम की अवधारणा तभी सफल होगी जब संबंधित सभी विभाग समन्वय के साथ बच्चों के हित में परस्पर सहभागिता से काम करे। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष तक के बच्चों से बाल श्रम नहीं कराया जाना चाहिए। उन्हें केवल शिक्षा से जोड़ना चाहिए। सरकार की बाल कल्याण हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों से वर्तमान में होटल ढावे और प्रतिष्ठानों में बालश्रम और स्कूलों से बाहर के बच्चों में बेहद कमी आई है। बाल विवाह और बाल श्रम की सूचना पर कार्यवाहियां भी रोकथाम के लिए की जाती है। उन्होंने बाल मित्र पंचायत प्रोजेक्ट की गतिविधियों में बाल कल्याण समिति को इन्वाल्व करने की जरूरत बताई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास सौरभ सिंह ने बालमित्र ग्राम की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि परसमनिया अंचल के गुढा, पिपरिया, महाराजपुर, खाखरा, सखैहाकला, टटियाझिर, हरदुआकला, भरखुरा सहित 10 बालमित्र ग्राम के रूप में चिन्हित पंचायतों में पिछले 8 महीनों से कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन और बाल विकास परियोजना उचेहरा ने काम शुरू किया है। परियोजना अधिकारी उचेहरा रविकांत शर्मा ने बालमित्र 10 ग्रामों में अब तक की गई गतिविधियों का पावर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत कर बताया कि इन ग्रामों की 16 लड़कियों और 28 बालकों को स्कूल में दाखिला कराया गया है। जो कभी स्कूल नहीं गए थे। कैलाश सत्यार्थी चिल्डेªन फाउंडेशन के स्टेट कोऑर्डिनेटर श्रीकांत यादव ने बताया कि प्रदेश के 11 जिलों में कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन महिला बाल विकास विभाग के साथ बाल मित्र ग्राम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अब तक प्रदेश में 950 बाल मित्र ग्राम बनाएं गए हैं। शासन की मिशन बात्सल्य योजना के तहत फाउंडेशन में महिला बाल विकास विभाग और जिला बाल संरक्षण समिति से एमओयू किया हुआ है।