Indore scammers making fake ids on instagram facebook cheating crores in name of crypto currency: digi desk/BHN/इंदौर/ स्कैमर्स के ठगी के नए तरीकों ने जांच एजेंसियों को सकते में ला दिया है। काल-मैसेज कर ठगने वाले अपराधियों से आगे निकल अब क्रिप्टो करंसी के बहाने ठगी हो रही है। ठग इंस्टाग्राम, फेसबुक पर फर्जी खाते बना कर लोगों से निवेश करवा रहे हैं। क्राइम ब्रांच को पिछले एक माह में तीन शिकायतें मिल चुकी हैं, जिसमें आरोपितों के नाम-नंबर सब फर्जी हैं।
क्रिप्टो करंसी में निवेश के शौकीन आजाद नगर का एक युवक इंस्टाग्राम पर एक अकाउंट देख चौंक गया। अकाउंट पर न सिर्फ क्रिप्टो करंसी के बारे में लिखा था, बल्कि हजारों कमेंट्स भी थे जो यह बता रहे थे कि उसके माध्यम से निवेश करने पर रातोंरात मालामाल हो गए। जल्दी रुपये कमाने के चक्कर में युवक ने बातचीत शुरू की और इंस्टाग्राम पर मिले निर्देशों का पालन करता गया।
क्रिप्टो बेचने की बारी आई तो पता चला वह स्कैमर्स के जाल में फंस चुका है। जिस आइडी पर उसकी चर्चा हो रही थी वह फर्जी है। उस पर मिले लाइक और कमेंट्स भी फर्जी थे जो अब गायब हो चुके थे। ठग के सारे नंबर भी बंद हो चुके थे। ऐसे कई खाते हैं जो क्राइम ब्रांच की राडार पर हैं। अपराध शाखा के डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक इस ट्रेंड में लोग करोड़ों रुपये गवां रहे हैं। क्रिप्टो में निवेश करने वाले जल्दी झांसे में आ जाते हैं।
ऐसे जाल में फंसाते हैं स्कैमर्स
डीसीपी के मुताबिक इंस्टाग्राम और फेसबुक पर क्रिप्टो से संबंधित नाम से अलग-अलग आइडी बनी हैं। आइडी स्कैमर संचालित करते हैं। कई लोग उसमें कमेंट्स करते हैं कि उसकी किस्मत बदल गई। उसके द्वारा निवेश किए रुपये करोड़ों में बदल गए। लोग कमेंट्स देख कर धोखा खा जाते हैं। निवेश की इच्छा जताने पर ठग ई-वालेट पर(बिनांस) पर अकाउंट बनवाते हैं, ताकि किसी को शक न हो। इसके बाद ठग रुपये जमा करवाने के लिए एक खाता नंबर देते हैं। इतना ही नहीं ठग निवेशक के खाते में फर्जी करंसी भी दर्शा देते हैं। निवेश की राशि दो-चार गुना होते देख ज्यादा निवेश करते जाते हैं। बेचने की बारी आती है तो पता चलता कि सब फर्जी था।
सिविल इंजीनियर से ठगे सवा चार लाख सेल ने बचाए
राज्य साइबर सेल भी इस तरह की ठगी की जांच में जुटी है। एक इंजीनियर को क्रिप्टो करंसी में ट्रेड करवाने और टास्क वर्क के नाम पर ठगा। फर्जी अकाउंट में राशि ली और काल्पनिक राशि दर्शाते गए। एसपी (साइबर) जितेंद्रसिंह के मुताबिक इंजीनियर आशीष जैन द्वारा 9 फरवरी को शिकायत दर्ज करवाई थी। जैन से ठग ने टेलीग्राम पर संपर्क किया था। उसने एक लिंक भेजी और क्रिप्टो का अकाउंट्स बनवाया। बैंक खाता नंबर भेजा और उसमें चार लाख 25 हजार रुपये जमा करवा लिए। जैन ने राशि आहरित करने की कोशिश की, लेकिन असफल होते गए।
सेल की जांच में पता चला कि ठग ने जो खाता बनवाया था वो फर्जी और है और उसमें काल्पनिक राशि दिखाई गई है। एसपी के मुताबिक साइबर एक्सपर्ट ने उस बैंक से संपर्क साधा जिसमें ठग द्वारा रुपये जमा करवाए थे। ई-मेल के माध्यम से आरोपितों के ट्रांजेक्शन पर रोक लगाई और इंजीनियर को ठगी से बचा लिया।