MP, hingot yudh gautampura the heroes of kalangi and turra will be face to face fireballs will rain from the sky: digi desk/BHN/इंदौर/गौतमपुरा में हर वर्ष दीपावली के अगले दिन होने वाला हिंगोट युद्ध इस बार दीपावली के दो दिन बाद यानी आज बुधवार को होगा। युद्ध के मैदान में कलंगी और तुर्रा सेनाओं के वीर एक दूसरे के सामने होंगे। उनके हाथ में होंगे सुलगते हिंगोट। युद्ध के पहले दोनों सेनाओं के योद्धा भगवान देवनारायण के मंदिर पहुंचकर आशीर्वाद लेंगे। गौतमपुरा में करीब दो सौ वर्षों से हिंगोट युद्ध की परंपरा चल रही है। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से दो वर्ष इसका निर्वाहन नहीं हो सका था। हजारों लोग युद्ध की इस परंपरा के साक्षी बनते हैं। खास बात यह कि इस युद्ध में कोई हार-जीत नहीं होती। गले मिलकर योद्धा युद्ध की शुरुआत करते हैं और गले मिलकर ही युद्ध का समापन होता है। गौतमपुरा के योद्धाओं के दल का नाम तुर्रा होता है तो रूणजी गांव के योद्धाओं का कलंगी।
युद्ध मैदान के पास बने देवनारायण भगवान के मंदिर में पूजा के साथ युद्ध की शुरुआत होती है। हिंगोट युद्ध कैसे शुरू हुआ और यह परंपरा में कैसे तब्दील हुआ इसका प्रमाण तो किसी के पास नहीं लेकिन बताया जाता है कि मुगल काल में गौतमपुरा क्षेत्र में रियासत की सुरक्षा में तैनात सैनिक मुगल सेना के घुड़सवारों पर हिंगोट दागते थे। निशाना सटीक बैठे इसके लिए वे कड़ा अभ्यास करते थे। धीरे-धीरे यही अभ्यास परंपरा में बदल गया।
यह होता है हिंगोट
हिंगोरिया के पेड़ का फल होता है हिंगोट। नींबू आकार के इस फल का बाहरी आवरण बेहद सख्त होता है। युद्ध के लिए पेड़ों से हिंगोट तोड़कर इसका गूदा निकालकर इसे सुखाया जाता है। फिर इसमें बारूद भरकर इसे तैयार किया जाता है। हिंगोट सीधी दिशा में चले, इसके लिए हिंगोट में बांस की पतली किमची लगाकर इसे तीर जैसा बना दिया जाता है।
महामारी की वजह से दो वर्ष टला युद्ध
गौतमपुरा में दीपावली के अगले दिन हिंगोट युद्ध की परंपरा करीब दो सौ वर्ष पुरानी है। कोरोना महामारी की वजह से दो वर्षों से इस परंपरा का निर्वाहन नहीं हो सका था। प्रशासन ने आयोजन की अनुमति ही नहीं दी थी। इस वर्ष आयोजन को लेकर ग्रामीणों में ही नहीं आसपास के शहरों में भी जबरदस्त उत्साह है।
12 से 15 रुपये में मिल रहा है हिंगोट
गौतमपुरा में हिंगोट का मूल्य 12 से 15 रुपये प्रति नग है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि किसी समय हिंगोट एक-डेढ रुपये में आसानी से मिल जाता था लेकिन अब लागत बढ़ने की वजह से इसके दाम बढ़ गए हैं।
शुरू हो गई प्रशासन की तैयारियां
बुधवार को होने वाले युद्ध को लेकर प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। युद्ध मैदान के दोनों ओर सुरक्षा जालियां लग चुकी हैं। बताया जा रहा है कि बुधवार दोपहर से ही युद्ध स्थल के आसपास वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी जाएगी।