सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ चैत्र नवरात्र की तृतीया यानी तीसरे दिन सोमवार को मैहर में मां शारदा को शक्ति की तीसरी स्वरूपा माता चंद्रघंटा के रूप में सजाया गया है। उनकी महारती ब्रह्ममुहूर्त में की गई। माता शारदा के दरबार पर चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार सुबह भव्य श्रृंगार और महाआरती हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन को पहुंचे। रविवार के दिन यहां करीब सवा श्रद्धालु पहुंचे थे और मां शारदा के दर्शन किए थे। मां के दर्शनार्थ पधारे श्रद्धालुजन को इस स्थान पर विद्या, धन, संतान संबंधी इच्छाओं की पूर्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि ये माता वैष्णवी हैं तथा सात्विक शारदा सरस्वती का साक्षात स्वरूप है। जो अध्यात्मिक क्षेत्र में बुद्धि, विद्या एवं ज्ञान की प्रदायनी देवी मानी जाती है। मां शारदा मंदिर पिरामिड आकार की त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है। जहां पहुंचने के लिए 1064 सीढ़ियां बनी हैं जिनमें आधी रात से ही भक्त कतार लगाकर खड़े हो जाते हैं और कई घंटों की मेहनत के बाद मां के दर्शन कर प्रसन्न होते हैं।
आल्हा की कुल देवी का भी मंदिर
मैहर मां शारदा देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पवन पांडेय दाऊ महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि मां के भक्त महोबा के महापराक्रमी सेनापति आल्हा का अखाड़ा भी मां शारदा मंदिर पहाड़ी के समीप स्थित है। बताया जाता है कि घोर कलयुग में भी मां शारदा ने आल्हा की भक्ति तथा तपस्या से प्रसन्न हो उन्हें अमरत्व प्रदान किया था। मां शारदा मंदिर प्रांगण में स्थित फूलमती माता का मंदिर आल्हा की कुल देवी का है जहां विश्वास किया जाता है कि प्रतिदिवस ब्रम्ह मुहूर्त में स्वयं आल्हा द्वारा मां की पूजा अर्चना की जाती है।
आज हो रही माता चंद्रघंटा की उपासना
आदिशक्ति मां जगदंबा के नौ रूप हैं जिसके नाम पर ही नवरात्र मनाया जाता है। नवरात्र के तीसरे दिन शक्ति के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना होता है। जिसके कारण माता का नाम चंद्रघंटा है। माता के हाथों में गदा, तलवार के साथ एक हाथ पर कमल का फूल होता है। माता राक्षसों का वध करने वाली होती है। दुखों को दूर करने के लिए ही माता चंद्रघंटा की उपासना नवरात्र के तीसरे दिन होती है।