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छोटी सी उमर में समाजसेवा और दीन-हीनों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाले नन्हें फ़रिश्ते बिटिया शिरीन और इसके भाई मोहम्मद अल शागिल का जज्बा सलाम करने लायक है।

Satna: मासूम बेटी शिरीन के नन्हे हाथ कर रहे समाज सेवा के क्षेत्र में बड़ा कमाल

(राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष)

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ प्रतिभा कभी परिचय की मोहताज नहीं होती। यह बात यहां शहर की उस मासूम बिटिया पर बिल्कुल सटीक बैठती है जो अभी सिर्फ कक्षा 7 की छात्रा है लेकिन 11 साल की छोटी उम्र में उसने बड़ी शोहरत हासिल कर अपने परिवार सहित समाज को गौरवान्वित करते हुए नेकी की राह पर चलने की सीख दी है। यह वह मासूम बच्ची है जो पिछले कई वर्षों से दीन हीनाे की सेवा कर नाम रोशन कर रही है।

सतना शहर के जवाहर नगर में रहने वाले एक कार कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट शेरू खान और श्रीमती बेनजीर तंजीन की बिटिया क्रिस्टकुला मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा छठवीं की छात्रा शिरीन पहली बार वर्ष 2016 में तब सुर्खियों में आई थी जब उसने अपने नन्हें हाथ प्राकृतिक आपदा बाढ़ से पीड़ित लोगों की मदद के लिए बढ़ाए थे। उन्हें खाना, पानी, कपड़ा दवाई आदि की सहायता पहुंचा कर बिटिया शिरीन और इसके भाई मोहम्मद अल शागिल ने जो सराहनीय कार्य किया था उसके लिए इन्हें तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला के कार्यकाल में तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र कुमार सिंह द्वारा गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह पर सम्मानित करते हुए उनकी हौसला अफजाई की गई थी। साथ ही महिला दिवस पर भी इस नन्ही सी बच्ची का टाउन हॉल में सम्मान किया जा चुका है। इसका असर इस बच्ची और इसके भाई पर इतना गहरा हुआ कि दोनों ही समाज सेवा में इस कदर जुट गए कि आज लोग इन्हें नन्हे फरिश्ते के नाम से भी जानते हैं।

जब कभी त्योहार पर लोग जश्न मना रहे होते हैं तब यह मासूम बिटिया उन लोगों के बीच मौजूद होती है जो दीन-हीन होने के कारण त्योहार नहीं मनाते। शिरीन ऐसे मौकों पर उनके पास पहुंचकर कुछ न कुछ देते हुए उन्हें भी खुश करने की कोशिश करती है। इतनी कम उम्र में बच्चे जब अपनी पसंद की चीज के लिए जिद करते हैं तब यह बच्ची अपना जेब खर्च भी गरीब कमजोर की मदद के लिए बचा कर रखती है।

आखिर छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी सोच कैसे आई? यह जानने पर शिरीन कहती है कि उनके माता-पिता इस्लाम धर्म को मानने वाले वह नेक बंदे हैं जो अल्लाह के बताए रास्ते पर चलना पसंद करते हैं और माता-पिता ने हमेशा यही सिखाया है कि गरीब मजबूर की मदद करना अल्लाह की इबादत ही है। शिरीन जितना पढ़ने में होशियार है उतना ही अन्य गतिविधियों खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि में भी है। उसकी सिंगिंग और स्विमिंग में बेहद रूचि है। पौधरोपण करना उसे बहुत अच्छा लगता है । यह उसका खास शौक है। बच्चों के लिए नन्ही परी शिरीन के कार्य वाकई मिसाल देने लायक हैं।

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