रीवा, भास्कर हिंदी न्यूज़/ चेन्नई के अपोलो अस्पताल में आठ महीने चले इलाज के बाद रीवा मऊगंज के बड़े काश्तकार धर्मजय सिंह उम्र 50 वर्ष की कोरोना वायरस से मौत हो गई। परिजनों का दावा है कि उनके इलाज पर करीब आठ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार धर्मजय सिंह अप्रैल 2021 में करोना संक्रमण से संक्रमित हुए थे। हालत में सुधार नहीं होने पर उन्हें स्वजन द्वारा गत 18 मई 2021 को एयर एंबुलेंस से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां लंदन के डॉक्टर मॉनिटरिंग कर रहे थे, करीब 254 दिन उनका इलाज जारी रहा। इस दौरान परिवार के सदस्यों ने कर्ज लेकर इलाज कराने का प्रयास किया था। उनके इलाज पर हर दिन लगभग 3 लाख रुपये खर्च हो रहे थे, पर उनकी इलाज दौरान देर रात मौत हो गई। सूचना मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर छा गई।
बड़े काश्तकार जाने जाते थे धर्मजय
धर्मजय अपने क्षेत्र में बड़े जमीदार के तौर पर माने जाते रहे हैं इसी कारण उन्हें इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया था। बताया जाता है कि धर्मजय के बीमार होने के बाद भी लगातार क्षेत्र में उनकी तबीयत में सुधार होने की बात परिवार बताता रहा है।
देश-विदेश के डॉक्टरों ने किया इलाज
परिजनों की मानें तो धर्मजय सिंह का इलाज देश-विदेश के डॉक्टरों की मौजूदगी में हुआ। उनको देखने लंदन के मशहूर डॉक्टर अपोलो अस्पताल आया करते थे। साथ ही अन्य देशों के डॉक्टरों की भी ऑनलाइन सलाह ली जा रही थी। लंदन के डॉक्टरों के कहने पर ही आठ माह तक एक्मो मशीन पर रखा गया था। वह पूरी तरह ठीक हो गए थे परन्तु धर्मजय की रात को मौत हो गई।
क्या है एक्मो मशीन और कितना खर्च
परिजनों का कहना है कि जब वेंटिलेटर भी फेल हो जाता है, तब मरीज को एक्मो मशीन पर रखा जाता है। इस मशीन से मरीज का खून बाहर निकालकर ऑक्सीजेशन किया जाता है। फिर वह खून दोबारा शरीर के अंदर भेजा जाता है। यह कृत्रिम प्रक्रिया है, जिसमें शरीर की ऑक्सीजन को मेंटेन किया जा सकता है। यह इलाज काफी महंगा है। इसके लिए 4 से 5 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है। इलाज जारी रखने के लिए प्रतिदिन 2 लाख रुपए की जरूरत होती है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने किया था सम्मान
परिवार के लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 26 जनवरी 2021 को पीटीएस मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में धर्मजय को सम्मानित किया था। धर्मजय सिंह ने स्ट्राॅबेरी और गुलाब की खेती को विंध्य में विशिष्ट पहचान दिलाई थी। वे कोरोना काल में लोगों की सेवा करते समय संक्रमित हुए थे। परिजनों का दावा है है कि 8 करोड़ रुपए इलाज में खर्च हुए हैं। परिवार वालों ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई थी। इसके बाद 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली।