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Chhatarpur: शहर की सुख समृद्धि के लिए किन्नरों ने निकाली कलश यात्रा, लोगों ने किया स्वागत

छतरपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ सिर पर मंगल कलश रखे, रथों पर सज-धज कर बैठे और डीजे व बैंड की धुन पर थिरकते हुए बड़ी संख्या में किन्नर शहर की सड़कों पर निकल आए। जिन्हें देखने के लिए सड़कों के दोनों ओर घरों की छतों पर लोग की भीड़ लग गई।

छतरपुर शहर में नारायणपुरा मार्ग स्थित एक विवाह घर में किन्नर नीतू नायक और चेला सोनिया उर्फ रिंकू नायक द्वारा 21 दिसंबर से अखिल भारतीय किन्नार महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन व मां जी की रोटी में भाग लेने के लिए यहां एमपी, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ सहित देश के कई प्रदेशों से किन्नर आए हैं। रविवार को सुबह आयोजन स्थल पर विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद कलशों में जल भरकर किन्नार कलश यात्रा लेकर शहर की सड़कों पर निकल पड़े। किन्नर डीजे और बैंड की धुन पर जमकर डांस कर रहे थे, वे जहां से गुजरे वहां लोगों के कदम बरबस ही ठहर गए। लोगों ने किन्नरों को नाचते-गाते देखा और उनकी फोटो खींचकर वीडियो भी बनाए।

कलश यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया, घरों के ऊपर से उन पर फूल बरसाये गए। लोगों ने उनके स्वागत में कई जगह आकर्षक स्टाल सजाए थे जहां फूल-माला और खाद्य-पेय के जरिए उनका स्वागत किया गया। इस दौरान किन्नरों ने विश्वव्यापी कोरोना महामारी खत्म होने सहित लोगों की सुख-समृद्धि के लिए मंगल कामनाऐं की और बड़ी संख्या में लोगों को आशीर्वाद भी दिया। नारायणपुरा मार्ग से शुरू हुई कलश यात्रा जवाहरमार्ग, किशोर सागर मार्ग, पुराना रोजगार कार्यालय, छत्रसाल चौराहा, महल तिराहा, चौक बाजार, हटवारा से बसस्टैंड होते हुए यह कलश यात्रा पुनः नारायणपुरा रोड स्थित आयोजन स्थल पर पहुंच कर परंपरा के अनुसार आराधना की गई। यहां उन खासतौर से उन सभी लोगों की खुशहाली की कामना की गई जो शादी, बरात व अन्य कार्यक्रमों में उन्हें खुशी से दान देते हैं।

कीमती आभूषणों से सजे थे किन्नर

कलश यात्रा में शामिल अधिकतर किन्नर वैसे तो पारंपरिक वेशभूषा थे। जो लाखों रुपये कीमती आभूषणों को धारण किए थे। वहीं कई युवा किन्नर मॉडर्न ड्रेस में नजर आए। युवा किन्नरों में अनोखा टेंटू प्रेम भी देखने को मिला। किन्नर प्रिया ने बताया कि उन्होंने अपने बाजुओं ओर कमर पर टेंटू गुदवाया है, इससे उनका व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है। इस संबंध में किन्नर गुरुओं का कहना है कि सभी किन्नर डेरे के नियम मानते हैं। पहले गुरू उन्हें मॉडर्न पोशाक और टेंटू की अनुमति नहीं देते थे लेकिन अब बदलते वक्त के साथ सोच को बदलकर इसकी भी इजाजत देना शुरू कर दिया है।

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