अनूपपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 12 अगस्त को अनूपपुर जिले की चंपा संवाद करेंगी। प्रधानमंत्री महिला नारी सशक्तिकरण के संबंध में आत्मनिर्भरता की दिशा में स्व सहायता समूह के माध्यम से नई ऊंचाइयां छूने वाली स्व सहायता समूह के सदस्यों से बात करेंगे जिसमें अनूपपुर जिले की चंपा को भी प्रधानमंत्री से बात करने का अवसर मिल रहा है। प्रधानमंत्री से वार्तालाप का यह कार्यक्रम गुरुवार 12:30 बजे होगा। पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत हर्रा टोला अंतर्गत ग्राम सोनियामार की रहने वाली हैं चंपा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह में चंपा सिंह 25 वर्ष कृषि सखी मास्टर ट्रेनर के पद पर है। अभावों के दौर से गुजरकर चंपा ने कठिन परिश्रम के बदौलत आज आत्मनिर्भरता के सफल रास्ते पर चल पड़ी हैं। प्रयासों के बदौलत जो सफलता मिली उससे अनूपपुर जिले की प्रथम महिला होने का गौरव चंपा को मिल गया है। जो देश के प्रधानमंत्री से वार्तालाप करेंगे। चंपा को सफलता यूं ही नहीं मिल गई इसके पीछे लंबा संघर्ष और लक्ष्य के प्रति निरंतरता कार्य करने की लगन रही है जो आज उन्हें सफल मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है।
चंपा का जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में ग्राम सोनियामार में हुआ था। मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया तब अपनी मां के साथ घर के कार्यों में हाथ बटाना पड़ता था। इसी के चलते चंपा को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसलिए वो मात्र आठवीं तक ही पढ़ सकी। घर में भाइयों के बड़े होने के कारण उनकी शादी हो गई तब उन लोगों ने चंपा एवं उनकी मां को परिवार से अलग कर दिया। इस कारण चंपा की जिम्मेदारी और भी बढ़ गर्इ। चंपा की शादी पास ही के गांव में कर दी गई कुछ समय गुजरा था कि अचानक एक दिन चंपा के पति का भी देहांत हो गया। इस उतार चढ़ाव के बीच चंपा अपने घर पर अपनी मां के साथ आकर रहने लगी।
एक दिन आजीविका के सदस्य सोनिया मार ग्राम में पहुंचे जिन्होंने न केवल चंपा को बल्कि ऐसी गांव की अन्य महिलाओं को भी समूह के बारे में विस्तृत जानकारी दी जिससे प्रभावित होकर चंपा ने स्वयं एक समूह का निर्माण किया, जिसमें कुल 10 सदस्य थे। सभी सदस्यों ने मिलकर धीरे-धीरे अपनी बचत करनी शुरू की और समूह को आगे बढ़ाया। चंपा ने समूह निर्माण के पश्चात बुक कीपर का कार्य शुरू कर दिया जिससे उसको कुछ आमदनी हो जाया करती थी परन्तु अभी भी खुद की एवं परिवार के सदस्यों की छोटी-छोटी जरूरतें भी आसानी से पूरी नहीं हो पाती थी इसलिए अन्य आय के साधन जुटाने के लिए समूह के माध्यम से चंपा ने सिलाई का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। इसी बीच चंपा को जानकारी प्राप्त हुई कि आजीविका मिशन के माध्यम से कृषि सखी का प्रशिक्षण किया जा रहा है। जानकारी मिलते ही चंपा के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया गया तथा कृषि सखी के रूप में कार्य करना शुरू किया। सबसे पहले चंपा को हरियाणा राज्य के झज्जर विकासखण्ड में कार्य करने का मौका मिला जिसमें कार्य के 15 दिवस पूर्ण किए इसके एवज में चंपा को मानदेय के रूप में 11600 रुपये प्राप्त हुए जो कि शायद चंपा के जीवन की सबसे बड़ी कमाई थी। इसके अलावा भी समय- समय पर अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश राज्य में तीन बार हमीरपुर एवं जालोन जिलों में रहकर कार्य करने का मौका मिला है एवं चंपा द्वारा जिले में लोकल स्तर पर भी कृषि सखी के रूप में कार्य किया जा रहा है।