Saturday , May 18 2024
Breaking News

बिलकुल भी सुरक्षित नहीं आपके घर आ रहा दूध, दिल्ली HC में चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली

दूध रोजाना की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली काफी महत्वपूर्ण चीज है। सुबह की चाय से लेकर रात तक इसका इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस दूध का आप सेवन कर रहे हैं वो कितना सुरक्षित है? हम यह सवाल इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि इसी मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट दाखिल हुई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जो दूध दिल्ली में सप्लाई हो रहा है उसमें ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह वही दवा है जो केंद्र सरकार 2018 में बैन कर चुकी है। तब सरकार की ओर से दावा किया गया था कि दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए मवेशियों पर इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे ना केवल मवेशियों बल्कि दूध का सेवन करने वाले लोगों पर भी इसका गलत असर पड़ रहा है।

केंद्र सरकार ने अप्रैल 2018 में इस दवा पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि पैदावार बढ़ाने के लिए दुधारू मवेशियों पर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल मवेशियों के स्वास्थ्य पर बल्कि दूध का सेवन करने वाले मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिकारियों को राजधानी में गाय-भैंस रखने वाली डेरियों में ऑक्सीटॉसिन के गलत उपयोग के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि हार्मोन संबंधित दवा देना पशु क्रूरता और एक अपराध है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग से साप्ताहिक निरीक्षण करने और मामला दर्ज करने को कहा। पुलिस इसकी जांच करेगी। अदालत ने दिल्ली पुलिस के खुफिया विभाग से ऑक्सीटॉसिन उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण के स्रोतों की पहचान करने को कहा। साथ ही इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई करने को कहा। अदालत ने यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी में डेरियों की स्थिति से संबंधित सुनयना सिब्बल और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। पीठ में न्यायमूर्ति पी एस अरोड़ा भी शामिल थे। पीठ ने अदालत कमिशनर द्वारा उठायी गयी इस बात को भी दर्ज किया कि ऑक्सीटोसिन का अंधाधुंध प्रयोग मवेशियों से अधिक दूध प्राप्त कर दूध का उत्पादन करने के उद्देश्य से किया जा रह है।

अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि ऑक्सीटोसिन को देना पशु क्रूरता है और यह पशुओं के प्रति क्रूरता से बचाव अधिनियम 1960 की धारा 12 के तहत एक संज्ञेय अपराध है, परिणामस्वरूप यह अदालत औषध नियंत्रण विभाग जीएसीटीडी को निर्देश देता है कि साप्ताहिक निरीक्षण करवाये जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि ऑक्सीटोसिन के गलत उपयोग या इसे रखने के सभी मामलों को पशुओं के प्रति क्रूरता से बचाव अधिनियम 1960 की धारा 12 एवं दवा एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धार 18(ए) के तहत दर्ज किया जाए।’’

 

About rishi pandit

Check Also

झारखंड के जमशेदपुर जिले में एक लकड़ी गोदाम में लगी भीषण आग, काफी देर बाद पहुंचे दमकल कर्मी

जमशेदपुर झारखंड के जमशेदपुर जिले में उस वक्त हड़कंप मच गया है जब एक लकड़ी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *