Madhya pradesh jabalpur mp news 10 private schools which increased fees arbitrarily will have to return rs 69 crore: digi desk/BHN/ जबलपुर/ जबलपुर में मनमानी फीस वृद्धि करने वाले 10 स्कूलों को 69 करोड़ की राशि लौटाने के आदेश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि ये स्कूल नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इस निर्णय से सैकड़ों छात्रों के परिजनों को राहत होगी। मध्य प्रदेश विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 का परिपालन नहीं करते हुए मनमानी फीस वृद्धि करने वाले 10 स्कूलों को 69 करोड़ की राशि छात्रों को लौटाना होगी। जिला समिति ने एक माह के अंदर मनमाने तरीके से फीस के रूप में वसूली गई राशि के निर्देश जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर गठित जांच कमेटी ने 11 निजी स्कूलों का ऑडिट किया था। जांच में यह बात प्रकाश में आई है कि अधिनियम की धारा 5 2 का पालन नहीं करते हुए इन स्कूलों ने मनमानी तरीके से फीस में वृद्धि की। अधिनियम के प्रावधानों के तहत ऑडिट रिपोर्ट को स्कूल की वेबसाइट में अपलोड नहीं की गई। अधिनियम में प्रावधान है कि पांच प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि की सूचना जिला समिति को देना आवश्यक है। इसके अलावा 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि के लिए जिला कलेक्टर तथा 15 प्रतिशत से अधिक वृद्धि के लिए राज्य स्तरीय कमेटी से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। इसका पालन इन स्कूल संचालकों द्वारा नहीं किया गया था।
कब बढ़ा सकते हैं फीस
प्रावधान के अनुसार वार्षिक आय का 85 प्रतिशत से अधिक व्यय होने पर स्कूल प्रबंधन फीस में अधिकतम पांच प्रतिशत वृद्धि कर सकता है। इसके अलावा 10 तथा 15 प्रतिशत फीस वृद्धि के लिए भी व्यय की सीमा निर्धारित है। स्कूलों की जांच में पाया गया था कि वार्षिक आय का 60 से 65 प्रतिशत व्यय करने के बावजूद भी इन स्कूलों ने मनमानी तरीके से फीस वृद्धि की थी। इसके अलावा ऑडिट रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की गई थी। इन स्कूलों द्वारा प्रत्येक वर्ष अपना पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाता था। इसके लिए एक्सपर्ट कमेटी से कोई अनुमोदन नहीं लेते थे। पाठ्यक्रम में फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पुस्तक को शामिल किया था। पाठ्यक्रम में 60 से 100 प्रतिशत का बदलाव किया जाता था। स्कूल प्रबंधक प्रशासन व विक्रेताओं को पहले सूचित कर देते थे। जिससे वह ऑर्डर व सप्लाई कर सकें। जिससे ओपन मार्केट में उक्त पुस्तक नहीं मिल सके और अभिभावक विशेष दुकान से ही पुस्तकें खरीदें। जांच में यह बात सामने आई है कि निजी स्कूलों द्वारा 81.30 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। जिला प्रशासन ने इन स्कूलों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी।
अधिनियम के तहत गठित जिला समिति ने 11 स्कूलों में से 10 स्कूलों को आदेशित किया है कि साल 2018 से 2024-25 के बीच वसूली गई मनमानी फीस छात्रों को लौटाएं। जिला समिति ने फीस का निर्धारण करते हुए इन स्कूलों को 69 करोड़ रुपये वापस करने के आदेश जारी किए हैं।
छह साल पहले बना था कानून
मध्यप्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 लागू किया था। 25 जनवरी 2018 को राजपत्र में इसका प्रकाशन हुआ। 6 साल तक ये कानून ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। 27 मई को जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इसी कानून का सहारा लेकर 11 प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ न केवल कार्रवाई की, बल्कि 11 स्कूल संचालकों सहित 51 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज कराई।
इन स्कूलों को लोटाना होगी राशि
- लिटिल वर्ल्ड स्कूल कटंगा- 18 करोड़ 38 लाख 77 हजार 634 रुपए
- क्राइस्ट चर्च सीनियस सेकेन्डरी- 6 करोड़ 65 लाख 32 हजार 800 रुपए
- क्राइस्ट चर्च कोएड सालीवाड़ा- 2 करोड़ 67 लाख 25 हजार 800 रुपए
- क्राइस्ट चर्च आईसीएससी- 6 करोड़ 17 लाख 01 हजार 060 रुपए
- क्राइस्ट चर्च स्कूल घमापुर- 2 करोड़ 72 लाख 66 हजार 980 रुपए
- सेंट अलायसियस स्कूल पोलीपाथर-8 करोड़ 14 लाख 53 हजार 410 रुपए
- सेंट अलायसियस स्कूल सदर- 9 करोड़ 10 लाख 03 हजार 020 रुपए
- चौतन्य टेक्नो स्कूल- 4 करोड़ 6 लाख 33 हजार 650 रुपए
- ज्ञानगंगा आर्केड इंटरनेशनल- 6 करोड़ 10 लाख 35 हजार 500 रुपए
- स्टेमफील्ड स्कूल विजय नगर- 4 करोड़ 61 लाख 58 हजार 800 रुपए