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MP: लोकसभा चुनाव में सफाए के बाद कांग्रेस में सिर फुटव्वल, जीतू-कमल नाथ और दिग्विजय की घेराबंदी

  1. कांग्रेस के 3 दिग्गजों की हो रही सबसे ज्यादा खिंचाई
  2. छह माह में दो बड़ी हार के बाद पार्टी में अफरा-तफरी
  3. नेताओं के एक वर्ग ने संगठन की समीक्षा की मांग उठाई

Madhya pradesh bhopal mp news defeat in madhya pradesh in lok sabha elections siege jitu patwari kamal nath and digvijay in congress: digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश में छह महीने के भीतर कांग्रेस की दो बड़ी हार के बाद पार्टी में अफरातफरी और सिर फुटव्वल की स्थिति है। विधानसभा चुनाव में करारी हार का दर्द कम भी नहीं हुआ था और लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदेश में सफाया ही हो गया। यह स्थिति तक है जब भाजपा शासित दूसरे राज्यों में कांग्रेस और आइएनडीआइ गठबंधन को उम्मीद से अच्छे परिणाम मिले। ऐसे में शांत बैठे पार्टी के बड़े नेता अब खुलकर प्रदेश नेतृत्व के विरोध में उतर आए हैं।

3 दिग्गजों की हो रही सबसे ज्यादा खिंचाई

सबसे अधिक घेराबंदी पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ व दिग्विजय सिंह के साथ प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की हो रही है। कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस विधानसभा चुनाव हारी और जब पार्टी में जान फूंकने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी तो उनके कार्यकाल में तीन विधायक सहित कई बड़े नेता उन पर आरोप मढ़कर भाजपा में चले गए। अब कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का बड़ा वर्ग जीतू पटवारी, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को हार का जिम्मेदार बताते हुए आरोपों की बौछार कर रहा है तो दूसरा वर्ग राष्ट्रीय नेतृत्व से संगठन की समीक्षा की मांग कर रहा है।

पूरे प्रदेश में हार की ठीकरा जीतू पर

चुरहट से विधायक और विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ‘राहुल’ ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि जीतू पटवारी के कार्यकाल की समीक्षा होनी चाहिए कि उनके कार्यकाल में बड़ी संख्या में नेताओं ने पार्टी क्यों छोड़ी। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दामोदर यादव ने भी जीतू पटवारी पर के सिर पर हार का ठीकरा फोड़ा है।

कमल नाथ ने भी जीतू पर फोड़ा हार का ठीकरा

उधर, लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा में अपने बेटे नकुल नाथ की हार से आहत कमल नाथ ने मीडिया से कहा कि प्रश्न सिर्फ छिंदवाड़ा की हार का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हार का है। इसका कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम होना चाहिए। उनका इशारा भी यही है कि प्रदेश में इतनी बड़ी हार की वजह सिर्फ प्रत्याशियों का प्रदर्शन नहीं, बल्कि कुछ और है। वह खुलकर भले ही नहीं बोले पर विधानसभा चुनाव में हार के बाद से अलग-थलग हैं।

प्रचार के लिए क्यों नहीं निकले कमल नाथ और दिग्विजय सिंह

अजय सिंह ‘राहुल’ ने प्रश्न उठाया है कि कमल नाथ और दिग्विजय सिंह प्रचार के लिए अपने क्षेत्रों से बाहर क्यों नहीं निकले। पार्टी हाईकमान इस बात की भी समीक्षा करे कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के समर्थन में कौन-कौन दिग्गज कहां-कहां पहुंचा। उन्होंने कमल नाथ और नकुल नाथ का नाम लिए बिना इशारे में कहा, कुछ लोग भाजपा में जा रहे हैं, नहीं जा रहे हैं, ऐसी अटकलें चलती रहीं। उसका भी असर पड़ा।

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