नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट से टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को एक बार फिर झटका लगा है। अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें महुआ पर रिश्वत के आरोप लगाने से रोकने की मांग की गई थी। तृणमूल कांग्रेस की लीडर ने गुहार लगाई थी कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई उनके ऊपर ऐसे आरोप लगाना बंद करें। साथ ही ऐसी कोई भी सामग्री बनाने, पोस्ट करने, पब्लिश करने, अपलोड करने या बांटने से रोकने का निर्देश दिया जाए… जिनमें कहा गया हो कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी।
सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने दिल्ली एचसी के इस फैसले पर अपनी खुशी का इजहार किया। मिडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मैं इसे लेकर बहुत आभारी हूं कि मेरे और निशिकांत दुबे के खिलाफ दायर अंतरिम आवेदन खारिज हो गया। यह कुछ लोगों की ओर से एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास था जो हमें सच बोलने से रोकना चाहते थे। हम उनकी भ्रष्ट गतिविधियों के बारे में बता रहे हैं।' उन्होंने कहा कि मैं इस लड़ाई में पूरी मजबूती से खड़ा हूं। इन सब के पीछे असली एक्टर (अपील दायर करने वाले शख्स के अलावा) तो ओडिशा का एक व्यक्ति है। मगर, मैं आभारी हूं कि आज हमारे पक्ष में फैसला आया। फिलहाल यह मामला अदालत में लंबित है, इसलिए मेरे लिए इससे ज्यादा कुछ कहना सही नहीं होगा।
सूचना लीक किए जाने के खिलाफ भी याचिका खारिज
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच चल रही है। इस सिलसिले में ED से गोपनीय सूचना मीडिया में लीक किए जाने के विरूद्ध भी उनकी याचिका खारिज हो चुकी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा था कि मोइत्रा संसद की पूर्व निर्वाचित सदस्य हैं और लोगों को सार्वजनिक हस्तियों से संबंधित किसी भी खबर के बारे में जानने का अधिकार है। मोइत्रा ने जांच के सिलसिले में कोई भी गोपनीय, संवेदनशील, असत्यापित/अपुष्ट सूचना प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लीक करने से ईडी को रोकने के लिए निर्देश जारी करने का अदालत से अनुरोध किया था। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया को निषिद्ध करने का आदेश केवल तभी पारित किया जा सकता है, जब यह किसी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हो।