- देवस्थानों के संबंध में लिए गए निर्णय और संकल्पों के क्रियान्वयन में राज्य शासन तेजी से आगे बढ़ेगा
- देवी-देवताओं के वस्त्र-आभूषण व मूर्ति निर्माण को कुटीर उद्योग के रूप में प्रोत्साहित किया जाएगा
- मंदिरों में इन सामग्रियों के विक्रय के लिए स्टाल की व्यवस्था भी की जाएगी
Madhya pradesh bhopal mp cabinet meeting madhya pradesh government will develop dharamshala in ayodhya dham and other major temples: digi desk/BHN/भोपाल/ मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने सोमवार को कैबिनेट बैठक से पहले संबोधन में कहा कि मंत्रिपरिषद के सदस्यों का भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए शासकीय रूप से अयोध्या जाना ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि अयोध्या धाम सहित प्रदेश के अंदर और बाहर प्रमुख देवस्थानों में राज्य सरकार धर्मशालाएं विकसित करेगी। अन्य राज्य सरकारों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
अयोध्या यात्रा के बाद देवस्थानों के संबंध में लिए गए निर्णय और संकल्पों के क्रियान्वयन में राज्य शासन तेजी से आगे बढ़ेगा। मंत्रिपरिषद की अगली बैठक में मंत्रिमंडलीय उप समिति बनाकर धर्मस्व, राजस्व और संस्कृति विभाग को जोड़ा जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में स्थित देवस्थानों के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा नगरीय क्षेत्र के देव-स्थानों के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग भी इसमें शामिल रहेंगे।
सभी विभाग परस्पर तालमेल और समन्वय से देव-स्थानों के विकास के लिए कार्य योजना बनाकर उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे। देवी-देवताओं के वस्त्र-आभूषण व मूर्ति निर्माण को कुटीर उद्योग के रूप में प्रोत्साहित किया जाएगा। स्व-सहायता समूह तथा क्षेत्र के युवाओं को इसके लिए मथुरा एवं जयपुर आदि के कलाकारों से प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा और मंदिरों में इन सामग्रियों के विक्रय के लिए स्टाल की व्यवस्था भी की जाएगी।
दो हजार प्राध्यापक पीएचडी के लिए होंगे अधिकृत
प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापकों को छठवें वेतनमान से एजीपी 10 हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाने का निर्णय लिया गया। ये प्राध्यापक विद्यार्थियों को पीएचडी भी करवा सकेंगे। दो हजार प्राध्यापकों को इससे लाभान्वित होंगे। ये प्राध्यापक पीएचडी करने के लिए अधिकृत होंगे। इनको आगे कुलगुरु बनने की योग्यता भी बनने के लिए पात्र होंगे। कैबिनेट की बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के प्राध्यापकों के लंबित प्रकरण का निराकरण करते हुए प्राध्यापकों को छठें यूजीसी वेतनमान में एजीपी 10 हजार रुपये देने के प्रस्ताव को दी स्वकृति।
प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ ने मुख्यमंत्री यादव, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. केसी गुप्ता का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ कैलाश त्यागी ने बताया कि 2010 में छठवें यूजीसी वेतनमान में एजीपी 10 हजार स्वीकृत किया गया था। जिसे वर्ष 2012 में वापस ले लिया गया, जिसके कारण से प्राध्यापक संवर्ग में भेदभाव की स्थिति बनी थी। मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के प्राध्यापक संग में अब अन्य राज्यों के प्राध्यापकों के समान एजीपी 10 हजार रुपये का वेतनमान मिलेगा।
मोहन कैबिनेट में यह भी हुए महत्वपूर्ण निर्णय
– डायल-100 वाहनों की संचालनकर्ता बीवीजी इंडिया लिमिटेड कंपनी के टेंडर की समय सीमा छह माह ओर बढ़ाई गई है। डायल-100 योजना के निरंतर संचालन के लिए 69 करोड़ 48 लाख स्वीकृत।
– न्यू डेवलपमेंट बैंक की मदद से पांच हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजना स्वीकृत की गई। परियोजना के लिए चार हजार 68 करोड़ रुपये का ऋण न्यू डेव्हलपमेंट बैंक द्वारा प्रदाय किया जाएगा एवं शेष एक हजार 744 करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करेगी। योजनांतर्गत प्रदेश में लगभग 884.63 कि.मी. राज्य राजमार्गों/मुख्य जिला मार्गों का टू लेन और फोर लेन में विस्तार किया जाएगा।
– पांच हजार करोड़ की लागत से उज्जैन-जावरा के मध्य फोर-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे निर्माण के साथ ही मार्ग पर एक औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित किया जाएगा।
सिंचाई परियोजना के लिए 5,180 करोड़ रुपये से अधिक की स्वीकृति
– पन्ना जिले के विकासखंड शाहनगर में 600 करोड़ रुपये के स्थान पर 775 करोड़ रुपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
– बुरहानपुर जिले के विकासखंड बुरहानपुर में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 144 करोड़ 72 लाख रुपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
– सागर जिले की बंडा तहसील में सिंचित भूमि बढ़ने, डूब क्षेत्र में परिवारों की संख्या में वृद्धि, भू-अर्जन की लागत में वृद्धि एवं विद्युत खपत में वृद्धि होने से तीन हजार 219 करोड़ 62 लाख करोड़ रुपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है।
– सतना जिले के विकासखंड रामनगर में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 53 करोड़ 69 लाख रुपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
– विदिशा जिले के विकासखंड लटेरी में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 627 करोड़ 45 लाख रुपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
– सीहोर जिले की जावर तहसील में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 222 करोड़ तीन लाख रुपये लागत की कान्याखेडी मध्यम सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 4605 हेक्टेयर) की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। – बुरहानपुर जिले में 137 करोड़ 77 लाख रुपये लागत की छोटी उतावली मध्यम सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 4000 हेक्टेयर) की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है।