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Satna: नानाजी की पुण्यतिथि पर दूसरे दिन सम्पन्न हुए विविध कार्यक्रम

नानाजी की पुण्यतिथि पर पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन

प्रदर्शनी में 13 केवीके सहित प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का किया गया प्रदर्शन

सतना/चित्रकूट,भास्कर हिंदी न्यूज़/ भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर दीनदयाल परिसर चित्रकूट में पोषक अनाज “श्री अन्न” प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी का शुभारंभ सतना सांसद गणेश सिंह, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो, बेस्ट इंडीज के प्रो नरेश सिंह, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति प्रो अरविंद शुक्ला, झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पांडे, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पदम श्री उमाशंकर पांडे, मध्य प्रदेश शासन की पूर्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, अटारी डायरेक्टर डॉ शांतनु दुबे, डॉ एसआरके सिंह, डॉ अंबेडकर महू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीके शर्मा, डॉ शेषाद्री चारी, गजानन डांगे एवं सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

उद्घाटन उपरांत सभी अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। प्रदर्शनी के प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट के वैज्ञानिक विजय गौतम ने बताया कि पोषक तत्वों का भंडार माने जाने वाले मोटे अनाज की खपत लगातार बढ़ती नजर आ रही है। यही नहीं, वर्ष 2023 इंटरनेशनल इयर ऑफ मिल्लेट के रूप में मनाया गया। लोग मोटे अनाज के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं। मोटे अनाज गेहूंँ और चावल की तुलना में सस्ते होने के साथ-साथ उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन तथा आयरन आदि की उपस्थिति के चलते पोषण हेतु बेहतर आहार होते हैं।

इस प्रदर्शनी में कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां, गनीवां, छतरपुर, रीवा, कटनी, उमरिया, नरसिंहपुर, शहडोल, दमोह, डिण्डौरी, सीधी, सागर, पन्ना,के साथ-साथ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग सतना, मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड भोपाल द्वारा संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रदर्शन के साथ श्री अन्न के मूल्यवर्धित व जैविक कीटनाशकों का प्रदर्शन, मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद एवं जन शिक्षण संस्थान चित्रकूट द्वारा आत्मनिर्भर तथा स्वावलम्बी बनाने हेतु संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी के साथ साथ प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा विविध जानकारियों को एकत्र कर लोगों को जन जागरूक करने हेतु विशिष्ट प्रदर्शनी लगाई गई है। इस अवसर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा बाल अधिकारों के सार्वभौमिकता और अखंडता के सिद्धांतों पर 0 से लेकर 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों की समान सुरक्षा को ध्यान में रखकर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

नानाजी की 14 वीं पुण्यतिथि पर मानस पाठ का शुभारंभ

श्रद्धांजलि के साथ 27 फरवरी को होगा भंडारा का आयोजन

भारतरत्न नानाजी देशमुख की 14 वीं पुण्यतिथि पर 26 फरवरी को प्रातः 7 बजे से श्रीरामचरितमानस पाठ का शुभारंभ हो चुका है, इस अवसर पर दीनदयाल परिसर में आयोजित मानस पाठ में पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के चेयरमैन डॉ त्रिलोचन महापात्रा, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, कोषाध्यक्ष वसंत पंडित, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ट ने पूजा स्थल पर पहुंचकर मानस पाठ में सहभागिता की। 27 फरवरी को हवन के पश्चात दीनदयाल परिसर चित्रकूट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बने राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के श्रद्धा स्थल के समक्ष श्रद्बाजंलि का कार्यक्रम रहेगा। उसके पश्चात प्रातः 10 बजे से साधु संतों के प्रसाद के बाद भंडारा का आयोजन होगा। यह सारा कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न हो रहा है, जिसके लिए चित्रकूट क्षेत्र के कई गांव एवं देश भर के कई स्थानों से नानाजी से जुड़े हुए तथा उनके कार्य के प्रति आस्था रखने वाले लोगों का चित्रकूट आना शुरू हो गया है। इस आयोजन को लेकर आयोजक मंडल द्वारा सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल के सभी सदस्य नानाजी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में चित्रकूट आ चुके हैं।

सतत् विकास के लक्ष्यों पर आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विद्युतजनों ने रखे अपने विचार

राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की चौदहवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति एवं एसडीजी-4 गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित तृतीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन दीनदयाल परिसर के लोहिया सभागार में एसडीजी-2 भुखमरी की समाप्ति के सत्र सतत कृषि और अमृत काल एवं टिकाऊ कृषि और आजीविका के संदर्भ में हम क्या उगाते है, हम क्या खाते है पर अपनी बात रखते हुए पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि सतत कृषि के लिए परिवेश को ध्यान में रखकर पेस्टिसाइड के उपयोग को प्रबंधित करने की जरूरत है। फसलों का जो विविधीकरण होना चाहिए वह नहीं हुआ है, फसलों में विविधीकरण की आवश्यकता है। सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था होना चाहिए। 2047 तक हम पानी के 80 प्रतिशत उपयोग को 40 प्रतिशत तक लेकर आएंगे।

दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक वसन्त पंडित ने कहा कि हमारी परंपरा में पुरुष पहले भोजन करता है फिर बच्चे और सबसे बाद में महिलाएं। इसलिये महिलाओं में कुपोषण ज्यादा है। मिलेटस् उगाने पर जोर देना चाहिये यह भुखमरी की समस्या का अच्छा समाधान है।

पूर्व आईएएस दीपक खांडेकर ने कहा कि सांवा, कोदो, काकून, रागी बाजरा ये फसले फिर से आनी चाहिये। ये मोटे अनाज ही इस सत्र का सार संक्षेप है और यही जीरो हंगर लायेगा।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ ओम गुप्ता ने दलहनी फसलों और उसकी न्यूट्रीशन वैल्यू पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा जो खाओ वो उगाओ- वही उगाओ जो खाओ।

पूसा अनुसंधान नई दिल्ली के बागवानी विशेषज्ञ डॉ अमित गोस्वामी ने कहा कि हम हर तरह के फल सब्जियां उगा तो रहे हैं लेकिन हम अपने आहार में बैलेंस डाइट नहीं ले पा रहे हैं‌। हमें स्वस्थ रहने के लिए अपने खान-पान में परिवर्तन करने की जरूरत है। सम्मेलन में स्थानिक कृषकों ने भी अपने-अपने अनुभवों को रखा।

क्षेत्रीय युवा किसान नरेंद्र प्रताप पटेल ने मिलेटस की खेती से बढ़ी हुई आमदनी का जिक्र किया। दीपक जायसवाल ने प्राकृतिक खेती में कम उत्पादन लागत का जिक्र किया। इन किसानों ने चित्रकूट क्षेत्र में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी एवं सतत मार्गदर्शन को इसका श्रेय दिया।

महात्मा गॉंधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा ने सतत् विकास के लक्ष्य को नानाजी के कृतित्व के अनुरूप मानते हुए कहा कि नानाजी देशमुख युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना के व्यावहारिक शिल्पी थे। वे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, समय अनुकूल शिक्षा, स्वावलंबन और आत्मविश्वास पूर्ण शिक्षा के हिमायती थे। नानाजी का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से हम समाज के अनछुए पहलुओं को स्पर्श करते हुए राष्ट्र का नवनिर्माण कर सकते हैं।

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