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Assam: हिमंता बिस्व सरमा ने ली शपथ, बने असम के 15वें मुख्यमंत्री, 13 मंत्री कैबिनेट में शामिल

Hemant Biswas Sharma Profile:digi desk/BHN/  हिमंता बिस्व सरमा (हेमंत बिस्व शर्मा या Hemant Biswas Sharma) ने असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। वे असम के 15वें मुख्यमंत्री बने हैं। राज्यपाल जगदीश मुखी ने हेमंत बिस्व शर्मा के साथ ही 13 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री कमल बिप्लब देब, मेघालय के सीएम कोनराड संगमा, मणिपुर के सीएम बिरेन सिंह, और नागालैंड के सीएम नफीउ रियो मौजूद रहे। इससे पहले रविवार को उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। Hemant Biswas Sharma असमी ब्राह्मण हैं जो पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक हैं। Hemant Biswas Sharma पूर्व कांग्रेसी हैं जो 2015 में भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा ने इस बार चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा नहीं की थी। Hemant Biswas Sharma के असम का मुख्यमंत्री चुने जाने के साथ ही कांग्रेस से बाहर जाकर मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं के आंकड़ों में इजाफा हो गया है। अब देश में नौ गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री कांग्रेस की सियासी पृष्ठभूमि से होंगे।

राहुल के पिद्दी वाले ट्वीट की उड़ाई थी खिल्ली

 असम के मुख्यमंत्री का पद संभालने जा रहे हिमंता बिस्व सरमा ने एक बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पिद्दी वाले ट््‌वीट की खिल्ली उड़ाई थी। दरअसल, अक्टूबर, 2017 में राहुल ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें वह अपने पालतू डाग पिद्दी के साथ थे। इस पर सरमा ने उनकी खिल्ली उड़ाते हुए ट्वीट किया था, “उन्हें मुझसे बेहतर कौन जानता है। मुझे अभी भी याद है कि जब हम असम के बेहद अहम मसलों पर चर्चा करना चाहते थे तो आप उसे (पिद्दी को) बिस्कुट खिलाने में व्यस्त थे।” सरमा 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

असम के वर्तमान मुख्यमंत्री सोनोवाल और स्वास्थ्य मंत्री Hemant Biswas Sharma को भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया था। इस संदर्भ में शनिवार को दोनों नेताओं, नड्डा, शाह और भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के बीच चार घंटे से अधिक समय तक तीन दौर की बातचीत हुई थी। नड्डा के आवास पर हुईं इन बैठकों में पहले दो दौर में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सोनोवाल और सरमा से अलग-अलग मुलाकात की थी। जबकि तीसरे और अंतिम दौर में शीर्ष नेतृत्व ने असम के दोनों नेताओं को एक साथ बैठाकर बातचीत की थी। इन बैठकों में असम में अगली सरकार के गठन और मुख्यमंत्री का मुद्दा ही छाया रहा था।

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