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Satna: माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा संज्ञेय अपराध


वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा कानून पर कार्यशाला


सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ माता-पिता, वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा, परित्याग और उत्पीड़न एक संज्ञेय अपराध है। जिसके लिए 5 हजार रुपये तक का जुर्माना या तीन माह तक की कैद अथवा दोनों से दंडनीय होगा। कोई भी वरिष्ठ नागरिक परामर्श, संदर्भित जानकारी अथवा सहायता के लिए टोल फ्री एल्डर हेल्पलाइन नंबर 14567 पर प्रात 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक सातों दिवस संपर्क कर सकते हैं। इस आशय की जानकारी सोमवार को सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 एवं मध्यप्रदेश नियम 2009 की कार्यशाला में दी गई।
उप संचालक सामाजिक न्याय सौरभ सिंह ने बताया कि वरिष्ठ व्यक्तियों की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता के मद्देनजर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में भी भरण-पोषण के प्रावधान किए गए हैं। लेकिन शीघ्र भरण-पोषण प्राप्त करने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 में कानूनी प्रावधान भी बनाए गए हैं। माता-पिता, वरिष्ठ नागरिक अपने वयस्क पुत्र, पुत्री, पौत्र, दत्तक पुत्र, पुत्री, नातेदारों से आहार, स्वास्थ्य, निवास सहित भरण-पोषण के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन कर सकते हैं।
भरण-पोषण अधिकरण में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अभिकरण के अध्यक्ष और प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है। भरण-पोषण के लिए आवेदन धारा-7 के तहत किया जाएगा। अधिकरण द्वारा अधिकतम 10 हजार रुपये प्रतिमाह के लिए भरण-पोषण भत्ता दिलाने का आदेश पारित किया जा सकेगा। अधिनियम के तहत कोई व्यक्ति जिसके पास वरिष्ठ नागरिक की देखरेख और सुरक्षा का दायित्व होगा, यदि वह उसे पूर्णतया परित्याग के आशय से छोड़ेगा तो संबंधित को तीन माह तक का कारावास या 5 हजार रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती होगा। इस मामले में किसी मजिस्ट्रेट द्वारा की संक्षिप्त विचारण किया जा सकेगा।
उप संचालक सामाजिक न्याय ने बताया कि कार्यशाला, दीवार लेखन, पोस्टर, पंपलेट के माध्यम से अधिनियम का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। सभी एसडीएम कार्यालय में सूचना पटल भी अंकित कराये गये हैं। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक न्याय के के.के. शुक्ला ने किया। इस मौके पर स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, फिजियोथेरेपिस्ट डीडीआरसी डॉ अमर सिंह, पुण्यवती गुप्ता, देवेंद्र उरमलिया, समग्र विस्तार अधिकारी रोशनी कुशवाहा, शोभा तिवारी, रुचि बागरी, अनिल त्रिपाठी, सहित महिला बाल विकास, जनसंपर्क एवं सामाजिक न्याय के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

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