सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के वैज्ञानिकों द्वारा उचेहरा, सोहावल एवं मझगवां के 25 से 30 ग्रामों का निदान भ्रमण कर खरीफ फसलों में वर्तमान समय में मौसम में आये बदलाव के कारण रोग एवं कीट व्याधियों तथा प्रतिकूल मौसम से बचाने के लिए सलाह दी गई है। जिसमें वर्षा न होने की स्थिति में फसलों में साप्ताहिक रूप से घुलनशील उर्वरक एनपीके 18, 18, 18, तथा 100 ग्राम एवं एग्रोमीन 25 ग्राम प्रति पंप की दर से छिड़काव करे। खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टर 3.25 किग्रा जिंक सल्फेट (मोनोजिंक 33 प्रतिशत) तथा 1.65 किया चूना या 15 किग्रा यूरिया को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान में तना छेदक एवं दीमक कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टर/4 किग्रा क्लोरेनट्रानिलप्रोल 0.4 प्रतिशत या फिप्रोनिल 0.6 प्रतिशत दवा को 12 से 15 किग्रा रेत अथवा यूरिया में मिलाकर खेत में प्रयोग करे. पत्ते लपेटक कीट के नियंत्रण हेतु करटाप हाईड्राक्लोराइड 75 प्रतिशत/200 ग्राम या इन्डोक्साकार्ब 14.5 प्रतिशत/150 मिली या फ्लुबेंडामाइड डेल्टामेथ्रिन 13.89 प्रतिशत/100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
इस समय धान में हरा फूटका (ग्रीन लीफ हॉपर) कीट का प्रकोप देखा जा रहा है जिसमे पत्तिया पीली पड़ जाती है, एवं उनका उपरी शिरा नारंगी रंग का हो जाता है। इस कीट की रोकथाम हेतु फ्लोनिकमिड 50 प्रतिशत/80 ग्राम मात्रा या डिनोटेफयुरान 20 प्रतिशत दवा की 100 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। धान के खेत में शीथ ब्लाइट (झुलसा रोग का आक्रमण देखा गया है। इस रोग के रोकथाम हेतु टेबुकोनाजोल$ट्राईफ्लोक्सीस्ट्राबीन 75 प्रतिशत/100 ग्राम अथवा प्रोपिकोनाजोल$डाईफेनोकोनाजोल/150 मिली अथवा टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत/250 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इस समय उड़द एवं मूंग पीला मोजेक रोग का प्रकोप अधिक हो रहा है इसके नियंत्रण के लिए फ्लोनिकमिड 50 प्रतिशत/80 ग्राम मात्रा या इमिडाक्लोप्रीड $ बीटासायफ्लुथ्रिन /140 मिली प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोलकर 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर 2 छिड़काव करें। मूंग में ब्लिस्टर बीटल कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके नियंत्रण के लिए लेम्डा- सायफ्लोथ्रिन 4.9 प्रतिशत या सायपरमेथ्रिन 25 प्रतिशत/दवा की 200 मिली मात्रा प्रति एकड़ की दर से शाम के समय छिडकाव करें। इस समय मूंग में सर्काेस्पोरा पत्ति धब्बा रोग का प्रकोप बहुत अधिक देखा जा रहा है। जिससे पत्तियों में कल्थाई लाल रंग के गोल धब्बे बनते हैं। इस रोग के रोकथाम के लिए टेबकोनाजोल $ सल्फर/400 या टेबुकोनाजोल 25.9 प्रतिशत/250 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
जिले में अब तक 543.7 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज
जिले में इस वर्ष 1 जून से 12 सितम्बर 2023 तक 543.7 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई है। बीते 24 घंटे के दौरान जिले में 1.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख सतना से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जिले की सतना (रघुराजनगर) तहसील में 629.4 मि.मी., सोहावल (रघुराजनगर) में 413.9 मि.मी., बरौंधा (मझगवां) में 483.9 मि.मी., बिरसिंहपुर में 479.5 मि.मी., रामपुर बघेलान में 487.8 मि.मी., नागौद में 944.2 मि.मी., जसो (नागौद) में 351.1 मि.मी., उचेहरा में 623 मि.मी., मैहर में 362.6 मि.मी., अमरपाटन में 615 मि.मी. तथा रामनगर तहसील में 589.9 मि.मी. औसत वर्षा अब तक दर्ज की जा चुकी है। जिले की औसत सामान्य वर्षा 1039.7 मि.मी. है। गत वर्ष इस अवधि तक जिले में औसत वर्षा 722.8 मि.मी. वर्षा दर्ज की जा चुकी थी।