सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ सतना के पुलिस परेड ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में शामिल शहीद की पत्नी ने भाजपा नेता पर अभद्रता का आरोप लगाया है। कार्यक्रम स्थल पर एक अधेड़ की बदतमीजी से आहत होकर वह रोने लगीं। उन्हें मुख्य समारोह में सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे सतना के सपूत छोटेलाल सिंह
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सतना की माटी के अमर सपूत छोटेलाल सिंह की शहादत के सम्मान के लिए उनकी पत्नी विद्या सिंह को स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया था। वे कार्यक्रम स्थल पर अग्रिम पंक्ति में बैठी थीं कि तभी एक अधेड़ व्यक्ति उनके सामने आ खड़ा हुआ है। उस व्यक्ति के कारण पीछे बैठे लोगों को कार्यक्रम देखने में असुविधा हो रही थी लिहाजा वहां मौजूद पटवारी आलोक जैन ने उसे हटाने की हिदायत दी लेकिन वह मौके से नहीं हटा।
शहीद की पत्नी ने सामने से हटने का आग्रह किया तो खुद को भाजपा का नेता बताया
शहीद की पत्नी ने भी उससे आग्रह किया तो वह खुद को नेता बताते हुए अभद्रता करने लगा। विद्या सिंह ने भी उसे बताया कि वे शहीद की पत्नी हैं और यहां उन्हें जिला प्रशासन ने सम्मानित करने के लिए बुलाया गया है। जिस पर उक्त अधिकार द्वारा उन्हें शांत रहने की हिदायत दी गई साथ ही वह मौके से नहीं हटा। उसकी बात सुनकर सम्मान के लिए बुलाई गई शहीद की पत्नी की आंखों से आंसू छलक पड़े और वे फूट- फूटकर रोने लगीं।
नहीं बता पाया जिला अध्यक्ष का नाम, मांगी माफी
शहीद की पत्नी और फौजी की मां को रोता देख पूर्व महापौर विमला पांडेय उनके पास पहुंचीं और उनसे घटना की जानकारी उस अभद्र शख्स की तलाश कराई, जिसने खुद को भाजपाई बताकर अनुचित बातें कहीं थीं। उन्होंने उस अधेड़ की सबके सामने क्लास लेते हुए पूछा कि अगर वह भाजपाई है तो बताए कि वह कब से भाजपा में है। भाजपा जिलाध्यक्ष का नाम और अपना मंडल बताए लेकिन वह इन सब सवालों के जवाब नहीं दे सका। पूर्व महापौर ने शहीद की पत्नी को गले लगाकर उनके आंसू पोछे और अभद्रता करने वाले से शहीद की पत्नी के पैर छुआ कर माफी भी मंगवाई। जिला सैनिक कल्याण संयोजक इंद्रकुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि सैनिक, शहीद और उनके परिजनों का अपमान अक्षम्य है। इस तरह की हरकतें देश का अपमान है।
देश सेवा में बेटा भी जम्मू कश्मीर में ही तैनात
विद्या सिंह के पति अमर शहीद छोटे लाल सिंह ने कारगिल युद्ध में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। उनके बेटे अमर बहादुर सिंह भी सेना में हैं। जम्मू कश्मीर में ही तैनात हैं। जब पिता शहीद हुए थे तब अमर बहादुर मां के गर्भ में थे। वे इस समय छुट्टी पर घर आए हुए हैं।