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अभ्यर्थी को पेड न्यूज की नोटिस का 48 घंटे में देना होगा जवाब


जिला स्तरीय एमसीएमसी की वीडियो कॉन्फ्रेंस से प्रशिक्षण बैठक

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गठित जिला स्तरीय मीडिया सर्टिफिकेशन एण्ड मानीटरिंग कमेटी की प्रशिक्षण बैठक सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ली गई। उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और निर्वाचन आयोग के मास्टर ट्रेनर्स ने जिला स्तरीय एमसीएमसी के कार्य दायित्वों, पेड न्यूज का चिन्हांकन विज्ञापन प्रमाणन, सोशल मीडिया, फेक न्यूज एवं उल्लंघन पर कार्यवाही के प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। सतना स्थित एनआईसी के वीडियो कान्फ्रेन्स कक्ष में उप जिला निर्वाचन अधिकारी ऋषि पवार, एमसीएमसी के सदस्य भी उपस्थित थे।
  एमसीएमसी की प्रशिक्षण बैठक में बताया गया कि प्रिन्ट, इलेक्ट्रानिक, सोशल मीडिया में पेड न्यूज का चिन्हांकन जिला स्तरीय एमसीएमसी करेगी। संदिग्ध पेड न्यूज पाये जाने पर संबंधित विधानसभा के रिटर्निंग आफीसर अभ्यर्थी को नोटिस जारी करेंगे। जिसके बाद अभ्यर्थी को 48 घंटे के भीतर जबाब देना होगा। अभ्यर्थी का जबाब संतोषजनक नहीं पाये जाने और पेड न्यूज साबित होने पर संबंधित मीडिया व्यय को उम्मीदवार के खर्चे में जोड़ दिया जायेगा। अभ्यर्थी चाहे तो 48 घंटे के भीतर राज्य स्तरीय एमसीएमसी को इसकी अपील कर सकेगा। जिला स्तरीय एमसीएमसी में जिला निर्वाचन अधिकारी/निर्वाचन अधिकारी, सहायक निर्वाचन अधिकारी और सोशल मीडिया एक्सपर्ट विज्ञापनों का प्रमाणन करेंगे। जबकि पेड न्यूज और शिकायतों की जांच पूरी एमसीएमसी करेगी।
   मतदान दिवस और मतदान दिवस के एक दिन पूर्व के प्रिन्ट मीडिया में जारी होेने वाले विज्ञापनों का प्रि-सर्टीफिकेशन समिति से प्राप्त करना होगा। एमसीएमसी प्रिन्ट, इलेक्ट्रानिक, सोशल मीडिया की खबरों की स्कैनिग भी करेगी। पेड न्यूज का चिन्हांकन, फेक न्यूज की जांच-पड़ताल, मीडिया के विज्ञापन प्रमाणन के अलावा एमसीएमसी पैम्पलेट, पोस्टर, हैण्डबिल की जांच भी करेगी। आईपीसी सेक्सन 171 एच और आरपीएक्ट 1951 की धारा 127 ए का उल्लंघन होेने पर मुद्रक और प्रकाशक के विरूद्ध कार्यवाही भी करायेगी। इन नियमों के उल्लंघन पर 6 मास का कारावास तथा दो हजार जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है। समिति के सदस्यों को फेक न्यूज की पहचान और कार्यवाहियों के लिए तैयार की गई एसओपी की जानकारी भी दी गई।

10 महिला कर्मियों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन जरूरी

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण तथा प्रतिषेध) अधिनियम 2013 की अधिनियम की धारा 4 के अनुसार 10 या 10 से अधिक महिला कर्मचारियों के कार्यरत होने पर उन कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना अनिवार्य होगा। आंतरिक परिवाद समिति का गठन नहीं होने पर संबंधित पर 50 हजार रूपये तक के जुर्मान से दण्डनीय होगा।
  जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास सतना ने जिले के ऐसे सभी कार्य स्थल शासकीय, अशासकीय कार्यालय, संस्थाओं, संगठनों, उत्पादनों, विक्रय सेवा वितरण केन्द्रों, मनोरंजन, शिक्षण, प्रशिक्षण, संस्थाओं, नर्सिंग होम अस्पताल आदि में 10 या 10 से अधिक महिला कर्मी कार्यरत है। उन कार्य स्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर सूचित करने के निर्देश दिये हैं।

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