सोलह वर्षों से कांवर यात्रा पर जा रहे हैं अजय

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ सावन मास आते ही भगवान भोलेनाथ की भक्ति प्रमुखता में रहती है अगर भोलेनाथ की भक्ति की बात हो तो सावन मास में की जाने वाली कांवर यात्रा अत्यंत प्रमुख है। जानकारी देते हुए लगभग सोलह वर्षो से जा रहे अजय दुबे ने जानकारी देते हुए बताया सावन और भादो मास में की जाने वाली प्रमुख कावर यात्राओ में से एक बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज तहसील में स्थित उत्तरायन गंगा जी है यहाँ से प्रारम्भ होती है।
कावर यात्री राजेश दुबे वरिष्ठ समाजसेवी ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगा जल लेकर कावर यात्री 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा धाम की ओर पैदल निकल पड़ते है रास्ते मे कुमरसार नदी, जिलेबिया पहाड़, टंगस्टन पहाड़,गोरियारी नदी,अब्रखिया व अन्य जंगल पहाड़ी पार करते हुए बिहार से झारखंड गेट में प्रवेश करते है , दो राज्यो में ये पदयात्रा पूर्ण होती है जिसमे बिहार में 96 किलोमीटर व 9 किलोमीटर झारखंड में चलना पड़ता है।
काँवरिया ये लगभग 105 किलोमीटर की पदयात्रा लगभग 3 दिन में पूरी कर लेते है , रास्ते मे रहने खाने की व्यवस्था तो रहती है और पग पग में होने वाले भक्तिमय गीत संगीत,जगराते और बोल बम के नारे थकने के बावजूद मन मे उत्साह बनाये रखने में सहायक होते है।
जिससे कांवरियो के पैर में पड़े छाले व थकान अधिक कष्टमय महसूस नही होने पाते है।
पदयात्रा करने के बाद जब काँवरिया भोलेनाथ को जल अर्पित करने के बार करुणामई होकर भावुक हो उठते है कि जैसे सबकुछ पा लिया हो व जल अभिषेक के बाद भक्तगण अपने अंदर एक ठहराव सा महसूस करते है।
कावर यात्रा में हम साथियो के हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 21 जुलाई 2023 को जा रहे है कावर यात्रियों में कई वर्षो से जा रहे आनंद मिश्रा,दीपक मिश्रा,विनीत शुक्ला ,बागरी जी ,सुधीर मिश्रा,महेश गुप्ता,विनीत शुक्ला, राजेश शर्मा,अतुल विश्वकर्मा,अरुण दुबे लालू ने बताया की सावन मास तो पांच जुलाई से ही प्रारम्भ हो चुका है इस बार पुरषोत्तम मास भी अठारह जुलाई से प्रारंभ होने के कारण इस बार की कावड़ यात्रा और महत्त्वतता से परिपूर्ण है ,इस बार की यात्रा 22 जुलाई 2023 को प्रातः काल में जल लेकर प्रारंभ होगी और 25 जुलाई को भगवान भोलेनाथ को जल अर्पण करने का प्रयास रहेगा ।