पुष्पेंद्र कुमार शास्त्री के नेतृत्व में संपन्न हुआ पूजन पाठ
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ सभी देवी-देवताओं की साकार रूप में पूजा की जाती है, लेकिन एक शिव ही हैं जिनकी साकार और निराकार दोनों रूप में पूजा की जाती है। सतना सेमरिया मार्ग स्थित कोटर तहसील क्षेत्र के देवरा नंबर 1 स्थित पूर्व सरपंच प्रभुनाथ शुक्ला के निज निवास में रोड पर स्थित इंद्रजीतेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया गया। सैकड़ा भर से अधिक धर्म प्रेमियों के द्वारा ओम नमः शिवाय के जाप के साथ शिवलिंग का निर्माण किया गया। पार्थिव शिवलिंग निर्माण के बाद पुष्पेंद्र कुमार शास्त्री टिकुरी के नेतृत्व में 11 आचार्यों से संपूर्ण विधि द्वारा महा रुद्राभिषेक करा कर महा आरती करवाई गई।
श्री शास्त्री ने बताया कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है व भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। शास्त्रों के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए पवित्र स्थान की मिट्टी को लेकर उसमें गंगाजल, पंचामृत, गाय का गोबर और भस्म मिलाया गया।
सभी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे शास्त्री जी ने भगवान रुद्र यानी हम सबकी आस्था का केंद्र इंद्रजीतेश्वर महादेव का अभिषेक शुरू किया जल दूध दही शक्कर पंचामृत से अभिषेक करने के बाद इंद्रजीतेश्वर जी का श्रृंगार किया गया। और भजन कीर्तन हुए । श्री शास्त्री जी ने कहा कि इस तरह के पूजन पाठ से विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है। हर-हर महादेव के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना रहा। पुष्पेंद्र कुमार शास्त्री जी ने पार्थिव शिवलिंग पूजा की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि सर्व प्रथम मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी। पार्थिव शिवलिंग जैसे-जैसे जलाभिषेक करते समय जल में समाहित होता है, वैसे-वैसे व्यक्ति के जीवन के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा आत्म तत्व जागृति का महाविधान है। भगवान श्री हरि विष्णु ने पार्थिव शिवलिंग पूजन कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया। इस दौरान राम सहाय शुक्ला, भुवनेश्वर प्रसाद शुक्ला, शत्रु सूदन प्रसाद शुक्ला, शिव सहाय शुक्ल, प्रभुनाथ शुक्ला के अलावा सैकड़ों भक्त प्रेमी मौजूद रहे।