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Satna: रमजानुल मुबारक में ही नाजिल हुई तमाम इंसानों की हिदायत की किताब कुरान

रमजान पर विशेष

मुहम्मद अल शगिल


रमजानुल मुबारक का महीना शुरू हो गया है। जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।पूरा माहौल पूरी अकीदत के साथ इबादत में डूब गया है।सभी लोग इफ्तार और सेहरी की तैयारी में शामिल हो गए है। लोग अपने अपने घरों और इबादतगाहों की साफ सफाई कर दिन रात इबादत में मशगूल दिख रहे है।माहे मुबारक को लेकर जवाहर नगर मैत्री उन्नति कॉलोनी के समाजसेवी मुहम्मद अल शगिल ने बताया कि मजहब ए इस्लाम की बुनियाद पांच अरकान पर है।जिसमे कलमा,नमाज ,रोजा , हज और जकात शामिल है।रोजा तमाम वैसे मुसलमान जो सेहतमंद हैं उनपर फर्ज है। रमजानुल मुबारक की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है की इसी माहे मुबारक में कुरान पाक नाजिल हुई।जो दुनिया के तमाम इंसानों के हिदायत की किताब है।

इसलिए माहे मुबारक को जश्न ए कुरान का महीना भी कहा जाता है।इस रोजा में लोग देर रात सेहरी खाते है और शाम में सूरज डूबने के बाद इफ्तार करते हैं। श्री शगील ने बताया ये महीना पूरी तरह तकवा और परहेजगारी का महीना है।इस माहे मुबारक में एक नेकी का सवाब सत्तर गुणा बढ़ा दिया जाता है।दोजख के दरवाजे बंद कर जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है। इस महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है।एक से दस रोजा तक रहमत का असरा कहलाता है जबकि ग्यारह से बीस तक मगफेरत का और आखिरी दस दिन जहन्नुम से निजात का असरा कहलाता है। इस माहे मुबारक में अल्लाह की तरफ से अपने बंदों पर रहमतों की बारिश होती है।

अभी रमजान का पहला असरा रहमत का चल रहा है। ये गमखारी और सब्र का महीना है।और सब्र का बदला जन्नत है। श्री शागिल ने बताया कि रमजान में तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है।जिसमे हाफीजे कुरान के द्वारा बीस रिकात नमाज के माध्यम से रात में एशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है।इस नमाज के द्वारा पूरी कुरान पाक को,नमाज के माध्यम से सुना जाता है। आखिरी असरा के किसी एक ताक रात में शब ए कदर की रात होती है इसी रात में कुरान नाजिल हुई है।इस रात की इबादत हजार रातों की इबादत से ज्यादा होता है।श्री खान ने बताया कि इस माह में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने और गरीबों की मदद करने की बात कही।

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