highcourt news: जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विभिन्न बैंकों द्वारा पेंशनर्स की राशि काटकर भुगतान किए जाने के मामले में नोटिस जारी कर दिए हैं। इस सिलसिले में राज्य शासन व बैंकों को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता पेंशनर्स समस्या निराकरण एसोसिएशन के अध्यक्ष दर्शन सिंह की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि विभिन्न बैंकों ने पेंशन पुनरीक्षण उपरांत भुगतान करते समय सारांशीकरण की राशि काटने की मनमानी की है। इससे पेंशनर्स को आर्थिक क्षति हुई है। राज्य शासन ने जून 2018 में सातवें वेतनमान का लाभ दिया गया था। जिसके पालन में पेंशन भुगतानकर्ता बैंकों द्वारा पेंशन का पुनरीक्षित भुगतान किया जाना था। लेकिन मनमानी गणना करके पेंशनर्स की राशि काट ली गई। राज्य के लगभग 12 हजार पेंशनर्स को कम भुगतान हुआ। जिससे उनमें असंतोष व्याप्त है। हाई कोर्ट इस मनमानी पर अंकुश लगाए, इसी मंशा से याचिका दायर की गई है।
इसी तरह विशेष न्यायाधीश संगीता यादव की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित राजे लाल की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि 7 जुलाई को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि नाबालिग को अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया है। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि भरत ने नाबालिग को कुंडम से कटनी ले जाकर दुष्कर्म किया है। लिहाजा, धारा 376 के तहत अपराध कायम किया गया। इससे पूर्व रास्ते में जंगल में भी नाबालिग के साथ जबरदस्ती की गई। पुलिस ने नाबालिग का बयान दर्ज किया। चूंकि मामला गंभीर प्रकृति का है, अत: जमानत अर्जी खारिज किए जाने योग्य है।