Madhya pradesh jabalpur court issues notice on cesarean operation done by mbbs doctor instead of gynecologist : digi desk/BHN/जबलपुर/ गायनेकोलॉजिस्ट की बजाय सामान्य एमबीबीएस डॉक्टरों के द्वारा सिजेरियन ऑपरेशन किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा ऑपरेशन नहीं किये जाने से डिलीवरी के दौरान मां व नवजात को जान का खतरा रहता है। हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
हरदा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विजय बजाज की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के अधिकांश निजी अस्पतालों में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ के स्थान पर सामान्य एमबीबीएस सर्जन डॉक्टर सिजेरियन ऑपरेशन करते है। प्रसूति एवं स्त्री रोग मेडिकल की एक विशेष शाखा है। शिशु के प्रसव के समय होने वाली सभी छोटी-बड़ी जटिलताओं को केवल यह विशेषज्ञ ही समझ सकते है। सामान्य एमबीबीएस डॉक्टर उन जटिलताओं को नही समझ सकते है।
याचिका में कहा गया था कि सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान मरीज को एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में रहना होता है। सामान्य प्रसव के दौरान दो दिनों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है। हॉस्पिटल का बिल बढ़ाने के लिए अधिकांश सिजेरियन ऑपरेशन किये जाते है। याचिका में कहा गया था कि हरदा स्थित श्री वेंकटेश अस्पताल में साल 2017 से 2021 के बीच 7200 सिजेरियन ऑपरेशन किये गये।
अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग को नियुक्ति नहीं की गयी है। पैसे की लालच के कारण 90 प्रतिशत मामलों में सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है। याचिका में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं कल्याण विभाग,नेशनल मेडिकल कमीशन,सीएमएचओ हरदा तथा श्री वेंकटेश हॉस्पिटल को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।