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Satna: प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा तथा शुद्ध अनाज पैदा करने वाले किसान सर्वश्रेष्ठ- कमल पटेल

  • प्राकृतिक खेती आज की महती आवश्यकता – रामखेलावन पटेल
  • पोषक अनाज ‘‘श्री अन्न“ एवं किशोरियों के उत्तम स्वास्थ्य पर चित्रकूट में हो रहा मुक्त चिंतन

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ भारत रत्न नानाजी देशमुख की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर चित्रकूट के विवेकानंद सभागार में विविध विषयों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगोष्ठियों का शुभारंभ रविवार को कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद खंडवा ज्ञानेश्वर पाटिल, चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ भरत मिश्रा, पद्मश्री जल योद्धा उमाशंकर पांडेय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ यूएस गौतम, डॉ एके सिंह, डॉ प्रभात कुमार, कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता, डायरेक्टर अटारी जबलपुर डॉ एसआरके सिंह, डायरेक्टर अटारी कानपुर डॉ शांतनु दुबे एवं डीआरआई के संगठन सचिव अभय महाजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री कमल पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपने लिए तो सब जीते हैं परंतु दूसरों के लिए जीना श्रेष्ठ है। यह हम सबको सिखाने वाले हम सबके पथ प्रदर्शक, प्रेरणा स्रोत भारत माता के सच्चे सपूत राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हम सबके लिए सदैव प्रेरणा स्रोत एवं मार्गदर्शन करता रहेगा। दुनिया के सभी देशों में भारत देश सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि भारत पुण्य भूमि है। उन्होने कहा कि यहां की मिट्टी उपजाऊ है, नदियां पवित्र है, पर्वत एवं वन संपदा से भरपूर यहां की मिट्टी उपजाऊ है, देश में सभी सम्पदाएँ परिपूर्ण है, आवश्यकता इसके समुचित सदुपयोग की है। सदविचारों एवं सद्कर्मों से ही हम सभी स्वाबलंबी बनेंगे, देश के वनवासी बंधु भगनियों ने ही हमारी वन संपदा, जंगल, जमीन, जानवरों तथा जल का संरक्षण एवं संवर्धन किया है। जिसके कारण हमारा पर्यावरण एवं प्रकृति बची हुई है। वनवासी बंधु भगिनी सच्चे अर्थों में हमारी इस पृथ्वी के संरक्षक हैं। मानव निर्मित जहरीला वातावरण आज पूरे विश्व की समस्या है। प्रकृति, पर्यावरण, जीवन, मिट्टी की रक्षा करना हम सभी को वनवासी बंधुओं से सीखना चाहिए। प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करने वाले और शुद्ध अनाज पैदा करने वाले किसान ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

जीवन, पर्यावरण और प्रकृति को बचाना है तो मोटे अनाज को पैदा करना होगा- श्री पटेल


कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि जीवन, पर्यावरण और प्रकृति को बचाना है तो मोटे अनाज को पैदा करना होगा। मोटे अनाज से ही आजीवन स्वास्थ्य की कल्पना को साकार किया जा सकता है। इसलिए 2023 को मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी ने मोटे अनाज को “श्री अन्न“ के रूप में परिभाषित किया है। “श्री अन्न“ के उत्पादन से गोवंश का भी संरक्षण एवं संवर्धन होगा, उसके अपशिष्ट से खेती उत्तम होगी, उत्पादन शुद्ध होगा, पर्यावरण शुद्ध रहेगा, लागत कम होगी व उत्पादन अधिक होगा और मुनाफा अधिक होगा। जिससे हम आर्थिक रूप से सुदृढ़ होंगे। हम सभी को संकट को चुनौती के रूप में स्वीकार कर उसे अवसरों में परिवर्तित करना होगा तभी परिवार समाज और राष्ट्र उन्नतशील होकर देश को विश्व गुरु की ओर हम अग्रसर कर पाएंगे।

कैसे हम जल, जंगल, जमीन और जानवरों का संरक्षण एवं संवर्धन करें यह सभी के लिए महत्वपूर्ण- राज्यमंत्री

इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती के साथ प्रकृति एवं पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए कैसे हम जल, जंगल, जमीन और जानवरों का संरक्षण एवं संवर्धन कर सकते हैं, यह आज सभी के लिए महत्वपूर्ण विषय है। जिस पर दीनदयाल शोध संस्थान का चिंतन, विचार-विमर्श सदैव महत्वपूर्ण रहता है। आज गेहूं, चावल सस्ते हैं परंतु मोटे अनाज महंगे और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक खेती आज की महती आवश्यकता है क्योंकि रासायनिक खाद एवं उर्वरकों से तथा आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपनी प्राकृतिक संपदाओं को नष्ट कर रहे हैं। जिससे विभिन्न प्रकार की समस्याएं आज खड़ी होती जा रही है। इन सभी समस्याओं का समाधान प्राकृतिक जैविक खेती है, हमे इसकी ओर पुनः लौटना होगा। उन्होने कहा कि मोटे अनाज पैदा करने में हमारे प्रदेश के आदिवासी भाई-बहनों का सर्वश्रेष्ठ योगदान है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के माध्यम से इन्हें प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ग्रामोदय ही वास्तव में देश का उदय है।
इस मौके पर पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में नानाजी ने कार्य प्रारंभ किया और वह सदैव कहते थे खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़, बुंदेलखंड पिछड़ा क्षेत्र है जहां पहले मालगाड़ी से पानी आता था परंतु नाना जी के द्वारा किए गए प्रयासों से अब मालगाड़ी से धान जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहां खाने के लिए अनाज नहीं होता था आज वहां बासमती जैसे धान 25 लाख क्विंटल सरकार द्वारा खरीदा जा रहा है।

कृषक कार्यशाला एवं पोषक अनाज प्रदर्शनी का चित्रकूट में किया उद्घाटन

भारत रत्न नानाजी देशमुख की 13वीं पुण्यतिथि के अवसर पर चित्रकूट के दीनदयाल परिसर में पोषक अनाज प्रदर्शनी का शुभारंभ रविवार को कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल ने भगवान कामतानाथ के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। इस मौके पर मंत्रीद्वय ने प्रत्येक स्टाल पर जाकर मोटे और पोषक अनाजों की प्रदर्शनी में श्री अन्न और उसके उत्पादों का अवलोकन किया तथा उसकी पोषकता के बारे में जानकारी ली। पोषक अनाजों की प्रदर्शनी में कटनी जिले के राज स्वीट्स कॉर्न द्वारा स्वीट कॉर्न के विविध खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इनमें स्वीट कॉर्न भुट्टा, स्वीट कॉर्न चाट, कार्न पकौड़े, स्वीट कॉर्न भेल, स्वीट कॉर्न के रेशे, आलूबड़े, पराठे और स्वीट कॉर्न के नमकीन दाने प्रदर्शित किये गये।

किसान प्राकृतिक खेती करें और मूल्य संबर्धन के उपाय कृषि वैज्ञानिक खोजे -कृषि मंत्री

भविष्य की कृषि तकनीकी, प्राकृतिक खेती और वैश्विक खाद्य विपढन नीति विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में चल रही भविष्य की कृषि तकनीकी, प्राकृतिक खेती और वैश्विक खाद्य विपढन नीति विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने किया। विशिष्ट अतिथि कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ अरविंद कुमार शुक्ल रहे। अध्यक्षता कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने की।
इस अवसर कृषि मंत्री कमल पटेल ने अनेक कृषि वैज्ञानिकों और शोध कार्य में लगे विद्यार्थियों को अवार्ड प्रदान करने के साथ ही अपने मार्गदर्शक उदबोधन में कृषि के विद्यार्थियों को सलाह दी कि अपनी पढ़ाई की सार्थकता को केवल नौकरी तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने ज्ञान का उपयोग कर रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवा से दूर प्राकृतिक खेती को बढ़ाने में करें। श्री पटेल ने कहा कि कृषि के विद्यार्थियों के सकारात्मक प्रयास से मानव जीवन को नुकसान रहित खाद्य सामग्री मिलेगी और किसानों की आर्थिक समृद्धि भी होगी। उन्होंने उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा प्रयास पोषक अन्न के उत्पादन के लिए होना चाहिए तभी हम बीमारियों के चपेट में आने से बच सकेंगे। कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री पटेल ने अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किये।
विशिष्ट अतिथि व कुलपति डॉ अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि के स्तंभ को मजबूत किये बगैर हम आत्मनिर्भर नही बन सकते।डॉ शुक्ला ने खेती में उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के प्रति चिंता व्यक्त की है। अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उपायों के सृजन की दिशा में ग्रामोदय विश्वविद्यालय अनुसंधान कर रहा है। अगले साल ग्रामोदय कृषि फार्म में अनुसंधान निष्कर्ष पर प्राकृतिक खेती के नवाचार किये जायेंगे।

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