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काम नहीं आई डेडलाइन, कैमा से फिर बैरंग लौटा रेलवे अमला

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ सतना-रीवा रेल दोहरीकरण में बाधा बन रहे कैमा रेलवे स्टेशन के पास जमीनों पर काबिज लोगों पर रेलवे का हुकुम नहीं चल पा रहा। यही कारण है कि पहले 192 लोगों को जारी किया गया नोटिस 7 लोगों तक सिमट गया और अब वे सात लोग समूचे रेलवे विभाग पर भारी पड़ रहे हैं।
यही वजह है कि दो महीने के भीतर दूसरी बार रेल दोहरीकरण में बाधक बने रहवासियों को हटाने सदल-बल गया रेल मोहकमा फिर बुधवार को बिना किसी कार्रवाई के वापस लौट आया। बुधवार को सुबह 10 बजे रेलवे के अधिकारी जेसीबी व सैकड़ों पुलिसकर्मियों को लेकर मौके पर रहवासियों को हटाने पहुंचे, लेकिन इस बार फिर सतना-रीवा रेल दोहरीकरण के लिए विभाग के गले की हड्डी बन चुके सात लोगों का आक्रोश देख कर अमला फिर बैंरग वापस लौट आया।

35 कि.मी रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य अटका

उल्लेखनीय है कि इसके पहले रेलवे के प्रस्तावित ट्रैक दोहरीकरण के रास्ते में बसे रहवासियों को हटाने के लिए रेलवे के आला अफसरों को सांसद गणेश सिंह का कोप भी बर्दाश्त करना पड़ा था। रहवासियों एवं रेलवे के आला अधिकारियों की बैठक में सांसद ने दो टूक चेतावनी दी थी कि रहवासियों को हटाने के पहले रेलवे एवं प्रशासन उन्हें उचित स्थान पर बसाहट के लिए संसाधन उपलब्ध कराये इसके बाद ही ट्रैक दोहरीकरण का कार्य प्रारंभ किया जायेगा। गौरतलब है कि सतना-रीवा रेल दोहरीकरण का लगभग 35 कि.मी का कार्य इस बसाहट के चलते शुरू हो पा रहा है।

हवा में लट्ठ भांज रहा था रेलवे

उल्लेखनीय है कि जब सतना-रीवा रेल दोहरीकरण का कार्य शुरू हुआ था इसके बाद रेलवे ने कैमा आदिवासी बस्ती के बाशिंदो को लगातार जमीन खाली करने की नोटिस देता रहा। बावजूद इसके वाशिंदे जगह छोड़ने के तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि पहले उन्हे उचित मुआवजा व जमीन देकर विस्थापन कराया जाये। इसके बाद जनविरोध को देखते हुए जमीन खाली कराने गया रेलवे का अमला वापस लौट आया। जमीन खाली कराने के लिए जुटे रेलवे के अफसरों को सांसद गणेश सिंह ने भी करारा जवाब दिया था। उन्होंने दस्तावेज देखने के बाद साफ कहा कि बस्ती को हटाना उचित नहीं है, जो घर दोहरीकरण में बाधक हैं उन्हें उचित मुआवजा तथा अन्य संसाधन देकर पहले विस्थापन का कार्य पूर्ण हो इसके बाद ही आगे का काम शुरू होने दिया जायेगा। इस मामले में दिलचस्प तथ्य यह है कि रेलवे सात लोगों को हटाने का जगह पूरी बस्ती में बसे 192 लोगों को ही हटाने के नोटिस जारी कर रहा था, तथा बस्ती की जमीन पर भी अपना अधिकार जता कर हवा में लट्ठ भांज रहा था।

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