सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ एनडीआरएफ 11वीं बटालियन वाराणसी की टीम द्वारा सुशासन सप्ताह के दौरान सतना कलेक्ट्रेट भवन के पीछे के मैदान में बायो, केमिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर आपदा से बचाव और राहत का मॉकड्रिल किया। इस मौके पर कलेक्टर अनुराग वर्मा, पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता, अपर कलेक्टर संस्कृति जैन, सिटी एसडीएम नीरज खरे, संयुक्त कलेक्टर सुरेश जादव, डिस्ट्रिक कमांडेंट आईके उपनारे, जिला आबकारी अधिकारी विभा मरकाम, खनिज अधिकारी एच.पी. सिंह, जिला संयोजक अविनाश पांडेय, उप संचालक उद्यानिकी एनएस कुशवाह सहित जिला आपदा प्रबंधन समिति के सदस्य, अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के हितधारकों के साथ कमान्डेंट मनोज कुमार शर्मा के दिशा-निर्देशन में 11 एनडीआरएफ वाराणसी की टीमें विभिन्न एजेंसियों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए संयुक्त मॉक अभ्यास का आयोजन कर रही हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को रामभवन सिंह यादव (उप कमांडेंट) के पर्यवेक्षण और इंस्पेक्टर पंकज कुमार सिंह की अगुवाई में 11 एनडीआरएफ वाराणसी की टीम ने जिला प्रशासन के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए कलेक्ट्रेट सतना (मध्यप्रदेश) में सीबीआरएन (केमिकल, बायोलोजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर) आपदा पर संयुक्त मॉक अभ्यास किया।
मॉक अभ्यास में आरडीडी (रेडियोएक्टिव डिस्पर्सल डिवाइस) के फटने का परिदृश्य तैयार किया गया था। जिसमें कुछ कर्मचारी रेडियोएक्टिव मटेरियल के संपर्क आ गये थे। जिससे फंसे हुए पीड़ितों को निकालने हेतु विशेष प्रतिक्रिया के लिए एनडीआरएफ टीम को बुलाया गया। सबसे पहले एनडीआरएफ की टीम ने जानकारी जुटाकर स्थिति का आंकलन किया। इसके साथ ही ऑपरेशन बेस, मेडिकल पोस्ट और कम्युनिकेशन पोस्ट तैयार किया। इसके बाद टीम ने खतरे की जांच कर ऑपरेशन शुरू किया। बचाव दल ने सीबीआरएन सूट और एससीबीए सेट की मदद से गंभीर रूप से फंसे हुए पीड़ितों को निकाला और तत्पश्चात अग्रिम उपचार के लिए अस्पताल भिजवाया गया। रेडियोएक्टिव मटेरियल को टीम द्वारा उपकरणों की मदद से पहचाना गया और सिल्डिंग कर दिया गया एवं विक्टिम को प्राथमिक उपचार देने के बाद हॉस्पिटल भेज दिया गया। यह पूरा मॉक अभ्यास इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयोजित किया गया, जिसमें पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया।
आपदा बचाव की मॉकड्रिल शुरु करते समय ऑपरेशन कमांडर पंकज सिंह ने इंसिडेंट कमांडर जिला मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर अनुराग वर्मा के समक्ष उपस्थित होकर घटना की सूचना दी और रेस्क्यू ऑपरेशन प्रारंभ करने की अनुमति ली। सफलतापूर्वक रेस्क्यू ऑपरेशन कर लिये जाने के बाद उन्होने इंसिडेंट कमांडर को बताया कि रेडियो एक्टिव डिस्पर्सल डिवाइस के फटने से 2 व्यक्ति हताहत हुये थे। जिन्हें सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर एंबुलेंस से अस्पताल भेजकर इलाके को डिकंटोनमेंट कर दिया गया है।
उप कमांडेंट ने बताया कि इस मॉक अभ्यास का मुख्य उद्देश्य किसी भी केमिकल, बायोलोजिकल, रेडियोलॉजिकल एवं न्यूक्लियर आपदा के दौरान प्रभावित हुए व्यक्तियों के अमूल्य जीवन की रक्षा करना है। सभी रेस्पोंस एजेंसियों का रेस्पोंस चेक करना व सभी हितधारकों के बीच आपसी समन्वय स्थापित करना तथा खोज, राहत व बचाव कार्य के संचालन में आने वाली कमियों की समीक्षा कर उन्हें दूर करना भी है। भविष्य में कभी भी इस तरह की घटना होती हैं तो आस-पास के लोगो को उस जगह पर नहीं जाना चाहिए, और हवा के रुख से विपरीत में जाने की कोशिश करनी चाहिये। इससे व्यक्तिगत नुकसान कम होता है।
इस मॉक अभ्यास में जिला प्रशासन, अग्नि शमन विभाग, स्थानीय पुलिस, एसडीईआरएफ, होमगार्ड, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, मीडियाकर्मियों एवं अन्य हितधारकों ने भाग लिया। एनडीआरएफ बचाव दल द्वारा प्रदर्शित पेशेवर कौशल की जिला प्रशासन एवं अन्य हितधारकों द्वारा सराहना की गई।
जिला आपदा प्रबंधन दल के अधिकारियों को दी जानकारी
एनडीआरएफ की 11वीं बटालियन वाराणसी की टीम ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अनुराग वर्मा की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में जिला आपदा प्रबंधन दल के सदस्य अधिकारियों को सीबीआरएन आपदा से बचाव और रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रामभवन सिंह यादव ने बताया कि एनडीआरएफ का गठन वर्ष 2006 में किया गया और उस समय से कुल 8 एनडीआरएफ बटालियन पूरे देश में थी। एनडीआरएफ के विस्तार पश्चात वर्तमान में कुल 16 बटालियन पूरे देश में कार्यरत हैं। जो किसी भी प्रदेश में आपदा की स्थिति में तत्काल पहुंचती हैं। उन्होंने बताया कि सतना जिले में एनडीआरएफ की 11वीं बटालियन वाराणसी द्वारा केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर आपदा से बचाव का मॉकड्रिल किया जाएगा। डिप्टी कमांडेंट ने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन के सदस्य विभाग अधिकारी, कर्मचारी एवं स्वयंसेवकों को भी आपदा प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक एनडीआरएफ ने देशभर में 76 लाख 26 हजार 87 व्यक्तियों को आपदा बचाव के लिए प्रशिक्षित किया है।
कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि एनडीआरएफ अपने ‘‘आपदा सेवा सदैव’’ के सूत्र वाक्य पर काम करती है। कहीं भी भीषण आपदा के दौरान सबसे पहले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के प्रशिक्षित जवान ही सेवा के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने जिला आपदा प्रबंधन दल के सदस्य विभाग और होमगार्ड के अधिकारियों से मॉकड्रिल के बारे में गंभीरता से प्रशिक्षण लेने के निर्देश दिए। इस मौके पर एनडीआरएफ द्वारा देश के विभिन्न प्रदेशों में विगत वर्षों में आई आपदा बचाव से संबंधित वीडियो फिल्में भी दिखाई गई।
कलेक्टर अनुराग वर्मा ने एनडीआरएफ को जिला आपदा प्रबंधन की कार्य योजना की प्रति भी सौंपी। बैठक में अपर कलेक्टर संस्कृति जैन, एसडीएम सिटी नीरज खरे, डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट होमगार्ड आईके उपनारे, जिला आबकारी अधिकारी विभा मरकाम, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन आरएस नट, उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ प्रमोद शर्मा, उपसंचालक उद्यानिकी एनएस कुशवाह एवं पीसी होमगार्ड पुष्पेंद्र पांडेय भी उपस्थित थे।