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CG: बिलासपुर में दौड़ेगी देश की पहली एल्युमिनियम वैगन वाली मालगाड़ी

Countrys first aluminum wagon goods train will run inbilaspur: digi desk/BHN//बिलासपुर/ बिलासपुर रेल मंडल को एक नई सौगात मिली है। अब यहां एल्युमिनियम वैगन वाली मालगाड़ी कोयला ढोएगी। भुवनेश्वर से 60 वैगन की खाली मालगाड़ी रविवार को रवाना हो गई। सोमवार की सुबह बिलासपुर पहुंचेगी। यहां आने के बाद इससे लदान होने लगेगा। यह देश की पहली एल्युमिनियम रैक वाली मालगाड़ी है। अब तक रेलवे में लोहे के वैगन को जोड़कर मालगाड़ी चलाई जाती है। मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए इस रैक व लोहे के रैक में काफी अंतर है। जिसका लाभ रेलवे को मिलेगा।

भारतीय रेलवे ने आरडीएसओ, बास्को व हिंडाल्कों की मदद से यह रैक तैयार कराया है। इसका निर्माण ओडिशा के रायगड़ा जिला अंतर्गत दोरागुडा उत्कल एल्युमिना कैप्टिव पावर प्लांट में किया गया है। इस रैक का कोयले के माल लदान के लिए कोरबा क्लस्टर कोल साइडिंग के साथ ही अन्य कोल साइडिंग में लदान के लिए उपयोग किया जाएगा। यह रैक भारतीय रेलवे ने सबसे ज्यादा राजस्व अर्जित करने वाले जोन के बिलासपुर रेल मंडल को दिया है। जोन कोयला लदान में शुरू से शीर्ष पर रहा है।

बीच-बीच में कुछ कठिनाइयां आती रही हैं। जिसमें माललदान में जोन दूसरे पायदान पर खिसक गया। पर अब स्थिति पहले से बेहतर हो गई है। एल्युमिनियम वैगन की सौगात मिलना बिलासपुर के लिए बड़ी उपलब्धि है। अब बिलासपुर रेल मंडल अधिक से अधिक लोडिंग कर सकता है। इस वैगन की खासियत है की इसमें लोहे से ज्यादा कोयला लोड किया सकता है। यह डिब्बे विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए ही डिजाइन किए गए हैं। कम किए गए टीयर वेट से कार्बन फुटप्रिंट कम हो जाएगा। क्योंकि खाली दिशा में ईंधन की कम खपत और भरी हुई स्थिति में माल का अधिक परिवहन होगा।

समान दूरी और समान भार क्षमता के लिए यह सामान्य और इससे ईंधन की भी बचत होगी। इससे कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। यह रैक ग्रीन और कुशलतम रेलवे की अवधारणा को पूरा करेगा। रेलवे का मानना है की स्टील के बनी परंपरागत रैक में निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत होती है जो आयात से आता है। इससे देश की निर्भरता विदेशों पर बढ़ती है। एल्युमिनियम वैगनों के प्रसार के परिणामस्वरूप कम आयात होगा तथा स्थानीय एल्युमिनियम उद्योग के लिए बेहतर अवसर साबित होगा तथा इससे देश के विदेशों पर निर्भरता कम होगी।

खासियत

– एल्युमिनियम रैक के सुपरस्ट्रक्चर पर कोई वेल्डिंग नहीं है, पूरी तरह लाकबोल्टेड हैं।

– सामान्य स्टील रैक से हल्की है और 180 टन अतिरिक्त भार ढो सकते हैं।

– परंपरागत रैक की तुलना में इसमें कम ईंधन की खपत होगी।

– एक एल्युमिनियम रैक 14 हजार 500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।

– स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगे हैं।

– आसान संचालन के लिए लाकिंग व्यवस्था के साथ ही एक रोलर क्लोर सिस्टम से लैस है।

– सामान्य वैगन से एल्युमिनियम का एक वैगन 3.25 टन हल्का है।

सामान्य रैक से 10 साल अधिक उम्र

रेलवे का दावा है की एल्युमिनियम रैक की रीसेल वैल्यू 80 प्रतिशत है। यह रैक सामान्य स्टील रैक से 35 प्रतिशत महंगी हैं, क्योंकि इसका पूरा सुपर स्ट्रक्चर एल्युमिनियम का है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एल्युमिनियम वैगन की उम्र सामान्य रैक से 10 साल ज्यादा है। इतना ही नहीं मरम्मत में भी कम खर्च है। इसमें जंग या घर्षण के प्रति अधिक प्रतिरोधी क्षमता है ।

केंद्रीय रेल मंत्री के हरी झंडी दिखाते ही पटरी पर आई मालगाड़ी

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली एल्युमिनियम निर्मित मालगाड़ी को भुवनेश्वर स्टेशन से हरी झंडी दिखाई। इसके बाद मालगाड़ी बिलासपुर के लिए रवाना हुई। यह मालगाड़ी सोमवार को बिलासपुर पहुंचेगी।

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