आर्थिक तंगी से जूझ रहे मोटर मालिकों को मिली राहत
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ कोरोना काल की विषम परिस्थितियों और आर्थिक तंगी के कारणों से परेशान रहे मोटर मालिकों के लिए अच्छी खबर है। राज्य शासन के परिवहन विभाग ने मोटर मालिकों को राहत देने मोटरयान कर तथा शास्ति की राशि एकमुश्त भुगतान करने पर छूट देने की ‘‘सरल समाधान योजना’’ लागू की है। इस योजना के तहत जारी अधिसूचना की तिथि 30 सितंबर 2022 तक वाहन पर बकाया मोटरयान कर और शास्ति की राशि एकमुश्त जमा कर देने पर शास्ति की राशि पूर्ण रूप से छूट मिल जाएगी। योजना की शर्त के मुताबिक संपूर्ण राशि एकमुश्त जमा करानी होगी। इसके उपरांत शास्ति की राशि में छूट के साथ मूल बकाया कर की राशि में भी नियमानुसार छूट प्रदान की जाएगी। योजना 31 मार्च 2023 तक प्रभावी रहेगी।
अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी संजय श्रीवास्तव ने बताया कि अनेक मोटर मालिक कोरोना के समय और आर्थिक तंगी से मोटरयान कर और शास्ति की राशि जमा नहीं कर पाए हैं। जिसके फलस्वरूप वाहन पर बकाया कर होने से उन्हें परमिट और फिटनेस प्रमाण पत्र भी जारी नहीं किए जा सकते। वाहनों के दस्तावेज नहीं बन पाने से वाहन का संचालन और उनकी आजीविका पर भी असर पड़ा है। राज्य शासन की सरल समाधान योजना के तहत ऐसे मोटर मालिक अपना बकाया मोटरयान कर और शास्ति की राशि एकमुश्त जमा कर मूल कर की राशि में निर्धारित छूट और शास्ति की राशि में पूर्णतः छूट लेकर अपना व्यवसाय पुनः शुरू कर सकते हैं।
राज्य शासन के परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश में पंजीकृत समस्त प्रवर्गों एवं आयु सीमा के मोटरयानों को अधिसूचना के प्रकाशन 30 सितंबर 2022 तक बकाया मोटरयान कर तथा शास्ति की राशि का भुगतान 31 मार्च 2023 तक एकमुश्त करने पर शास्ति की राशि पर पूर्णतया छूट और बकाया मोटरयान की राशि पर विभिन्न श्रेणियों के क्रमशः 10 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वाहनों की आयु सीमा के अनुसार अधिसूचना जारी दिनांक को 5 वर्ष तक के पुराने पंजीकृत वाहनों पर 10 प्रतिशत, 5 वर्ष से अधिक किंतु 10 वर्ष से अनाधिक पुराने पंजीकृत वाहनों पर 20 प्रतिशत, 10 से अधिक पुराने पंजीकृत वाहनों पर 30 प्रतिशत एवं 15 वर्ष से अधिक पुराने पंजीकृत वाहनों (जिनके वाहन स्वामी उक्त वाहन का स्वेच्छा से पंजीयन निरस्त कराना चाहते हैं) पर 90 प्रतिशत की छूट प्रदान की जायेगी।
कृषि विविधीकरण के लगातार प्रयास करें – कृषि उत्पादन आयुक्त
कृषि, उद्यानिकी तथा मछली पालन से दें युवाओं को रोजगार का अवसर – एपीसी
प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेन्द्र सिंह ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से रीवा तथा शहडोल संभाग के कृषि आदान की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि रीवा तथा शहडोल संभागों में पिछले कुछ वर्षों में उद्यानिकी फसलों में शानदार वृद्धि दर्ज की गई है। सिंचाई की सुविधा बढ़ने से धान तथा गेंहू के क्षेत्राच्छादन एवं उत्पादन में वृद्धि हो रही है। कृषि विविधीकरण के लगातार प्रयास करें। किसानों को गेंहू तथा धान के स्थान पर सरसों, चना, मूंग, उड़द, अलसी तथा अन्य लाभकारी फसल लेने के लिये प्रेरित करें। कमिश्नर तथा कलेक्टर कृषि तथा इससे जुड़े विभागों की गतिविधियों की हर सप्ताह समीक्षा करें। कृषि, पशुपालन, उद्यानिकी, मछलीपालन तथा इससे जुड़ी अन्य गतिविधियां युवाओं को रोजगार देने के तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में कारगर सिद्ध होंगी।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रबी फसल के लिए सभी सहकारी समितियों में खाद का भण्डारण कराएं। रैक प्वाइंट से सीधे समिति को खाद पहुंचाने के लिए कंपनियों को अग्रिम में कार्यक्रम प्रस्तुत कर दें। इससे समय तथा परिवहन व्यय दोनों की बचत होगी। सतना जिले में शीघ्र ही रैक लगने वाली है, जिससे आवश्यक मात्रा में खाद उपलब्ध हो जाएगी। संभाग के किसी भी जिले में खाद की कमी नहीं है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि रीवा तथा शहडोल संभाग में डेयरी के विकास की अपार संभावनाएं हैं। संभाग के सभी पशुओं की टैगिंग तथा टीकाकरण कराकर ऑनलाइन शत-प्रतिशत जानकारी दर्ज करें। दुधारू पशुओं के नस्ल सुधार, मिल्क रूट एवं दुग्ध सहकारी समिति बनाने पर विशेष ध्यान देकर दूध का संकलन एवं वितरण बढ़ायें। दुधारू पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान में सार्टेड सीमेन के उपयोग को बढ़ावा दें। दुग्ध संघ सहकारी समितियां गठित कर दूध संकलन को बढ़ावा दें। पशुपालन विभाग कार्यशाला आयोजित कर किसानों को दुधारू पशुओं, मुर्गी पालन तथा बकरी पालन के लिये जागरूक करें। रीवा में 20 हजार लीटर क्षमता का प्लांट शुरू हो गया है। यहाँ दूध का संकलन बढ़ाने के लिए प्रयास करें। कलेक्टर पशुओं के नस्लसुधार कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दें।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि एक जिला-एक फसल योजना के तहत रीवा तथा शहडोल संभाग के सभी जिलों के लिये फसलें निर्धारित कर दी गई हैं। इन फसलों के क्षेत्र विस्तार के लिये प्रयास करें। उद्यानिकी फसलों, मसालों तथा फूलों की खेती से किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। कलेक्टर विशेष रूचि लेकर इस योजना के तहत लक्ष्य के अनुसार प्रकरण तैयार कराएं। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्येक जिले में कम से कम 50 प्रकरण स्वीकृत और वितरित कराएं। सब्जी उत्पादन में रीवा संभाग प्रदेश में प्रथम स्थान पर तथा फल उत्पादन में चौथे स्थान पर है।
बैठक में सरसों की खेती के विस्तार, खाद्य प्र-संस्करण इकाई लगाने, धान उपार्जन के लिये व्यवस्था तथा कृषि यंत्रीकरण पर चर्चा की गई। बैठक में कृषि विविधीकरण, मुनगा के रोपण, मिलेट मिल की स्थापना तथा राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के संबंध में भी चर्चा की गई। बैठक में भाग लेते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी ने कहा कि बैठक में दिये गये निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जायेगा। संभाग में कृषि तथा उद्यानिकी के विकास के विशेष प्रयास किये जायेंगे। उद्यानिकी, मछली पालन तथा कृषि विभाग में अमले की कमी के कारण योजनाओं की लक्ष्य पूर्ति में कठिनाई आती है। वर्चुअली समीक्षा बैठक में कलेक्ट्रेट के एनआईसी से कलेक्टर अनुराग वर्मा, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित झाड़े, जीएम डीसीसीबी सुरेश गुप्ता, उप संचालक कृषि केसी अहिरवार, मंडी सचिव करुणेश तिवारी, मंडी निरीक्षक कमलेश पांडेय सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।