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Umaria: रेल रोको आंदोलन में 80 गांव के 15 हजार लोग हुए शामिल, ट्रेनों के स्टापेज के लिए ट्रैक पर कब्जा

उमरिया, भास्कर हिंदी न्यूज़/  क्षेत्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले पांच सितंबर से चल रहे क्रमिक अनशन के बाद 20 सितंबर को चंदिया की जनता ने रेलवे स्टेशन पहुंचकर रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया। आंदोलन को कुचलने के लिए रेलवे ने भारी पुलिस बल लगाया था, लेकिन आंदोलनकारियों की रणनीति के सामने रेलवे की सारी सुरक्षा फेल हो गई। रेलवे स्टेशन के सामने पहुंचने के बाद आंदोलनकारियों का जत्था गेट पर लगभग एक घंटे खड़ा रहा। क्षेत्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष मिथिलेश पयासी ने रेलवे स्टेशन के सामने पहुंचने के बाद भी अधिकारियों को आधा घंटे का समय और दिया, लेकिन जब कोई अधिकारी बात करने के लिए नहीं पहुंचा और कोई निर्णय नहीं हो पाया तो उन्होंने जिले के दूर गांव से आई जनता को रेलवे ट्रैक की तरफ कूच करने का आह्वान कर दिया।

मिथिलेश पयासी के कहते ही लगभग 15000 लोग रेलवे ट्रैक पर पहुंच गए और चंदिया रेलवे स्टेशन पर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक रेलवे ट्रैक पर जम गए। दोपहर 12:00 बजे प्रारंभ हुआ यह आंदोलन दोपहर बाद तक जारी रहा, लेकिन रेलवे के अधिकारी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाए।

चौक से शुरू हुआ जुलूस

सुबह जब आरपीएफ के अधिकारी चंदिया रेलवे स्टेशन पहुंचे तब वे यह देख कर खुश हो गए कि क्रमिक अनशन वाले मंच के सामने बमुश्किल 10-20 लोग ही मौजूद थे। उन्होंने तब सोचा कि जनता यहां आंदोलन में नहीं आएगी, लेकिन असल में गढ़ी चौक से एक बड़ा जुलूस शुरू हुआ जो गांधी चौक होते हुए रेलवे स्टेशन तक पहुंच गया। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद जुलूस रेलवे गेट के पास बनाए गए बेरीकेट के दूसरी तरफ थम गया। इस जुलूस में शामिल 15000 लोगों की भीड़ रेलवे स्टेशन से लेकर गांधी चौक तक आधे घंटे तक खड़े होकर रेलवे अधिकारियों के किसी निर्णय का इंतजार कर रही थी। इस दौरान मंच पर मौजूद संघर्ष समिति के अध्यक्ष मिथिलेश पयासी लगातार अधिकारियों का आह्वान कर रहे थे कि वे आकर अपना निर्णय सुनाए और इस आंदोलन को समाप्त करें लेकिन जब कोई अधिकारी नहीं आया तो बेसब्र जनता सारी सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए रेलवे ट्रैक पर पहुंच गई और यही जम गई।

मंच पर बेहोश हुए मिथिलेश

सुबह से आंदोलनकारियों के साथ अनुशासन को लेकर लगातार चर्चा कर रहे मिथिलेश पयासी गढ़ी चौक से स्टेशन पहुंचने के बाद मंच पर अचानक बेहोश हो गए। हालांकि उन्हें कुछ देर बाद होश आ गया और वे फिर पूरे जोश के साथ आंदोलन का नेतृत्व करने लगे। मंच पर मौजूद मिथिलेश पयासी ने हर क्षण सभी से यही आवाहन किया कि आंदोलन को हम शांतिपूर्वक करेंगे और गांधीवादी सिद्धांतों पर चलकर ही हमें अपनी मांग मनवानी है।

यह है मांग

जिले के चंदिया रेलवे स्टेशन में उन सभी ट्रेनों का स्टॉपेज फिर से देने की मांग लगातार की जा रही है जिन का स्टॉपेज पहले यहां पर था। कोरोना काल में जब ट्रेनों को बंद किया गया तो चंदिया रेलवे स्टेशन भी इससे प्रभावित हुआ लेकिन जब दोबारा ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया तो उन सभी ट्रेनों का स्टॉपेज चंदिया रेलवे स्टेशन में बंद कर दिया गया जिनका स्टॉपेज पहले यहां हुआ करता था। यहां तक कि नर्मदा एक्सप्रेस का भी स्टॉपेज चंदिया में नहीं दिया गया। इस आंदोलन के बीच में नर्मदा एक्सप्रेस का स्टॉपेज शुरू किया गया लेकिन दूसरे तीसरे दिन इस ट्रेन को फिर से बंद कर दिया गया। 5 सितंबर से आंदोलन में बैठे संघर्ष समिति के लोगों ने कई बार रेलवे के अधिकारियों का आह्वान किया कि वे आकर उनकी मांगों पर ध्यान दें और उन्हें पूरा करें, लेकिन रेलवे के अधिकारी न जाने क्यों अड़े हुए थे और उन्होंने आंदोलनकारियों से कोई बात नहीं की।

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