Gaj Laxmi puja: digi desk/BHN/ग्वालियर/ श्राद्ध पक्ष में अष्टमी तिथि को मिट्टी से बने हाथी पर सवार माता गज लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। इनकी पूजा करने से धन संपत्ति में वृद्धि होती है। वेदों में देवी लक्ष्मी को श्री, भूमि, प्रिया, सखी कहा गया है। श्री का अर्थ है लक्ष्मी।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि को लक्ष्मी जी का वरदान प्राप्त है। इस दिन खरीदा सोना 8 गुना बढ़ता है। साथ ही खरीदारी के लिए यह दिन उपयुक्त माना जाता है। इस बार श्राद्ध पक्ष अष्टमी तिथि 17 तारीख को दोपहर 2:14 से प्रारंभ होकर 8 तारीख शाम 4:32 तक रहेगी। इसलिए कुछ लोग तो महालक्ष्मी व्रत हाथी पूजा 17 को करेंगे ।वहीं कुछ लोग 18 को भी इसे मनाएंगे। 17 तारीख को सूर्य संक्रांति के साथ दिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, अडालयोग के संयोग में विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी। इस दिन हाथी पर सवार होकर मां लक्ष्मी के 8 रूपों की पूजा होती है। लक्ष्मी के 8 रूपों में से गज लक्ष्मी को कलयुग में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। लक्ष्मी का महापर्व सूर्य की स्थिति से संबंधित माना जाता है। सूर्य का वार्षिक काल प्रारंभ मेष राशि से होता है। अर्धवार्षिक काल में सूर्य सिंह राशि को पार करता हुआ कन्या राशि में आता है , तब मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान बनता है। इस व्रत में 16 सोलह की संख्या की महत्वता है। जिसमें 16 उपायों से षोडशोपचार पूजा होती है। बेसन से बने सोलह सिंगार गजलक्ष्मी को चढाये जाते हैं। सोलह वोल की कहानी की कथा की जाती है।
गजलक्ष्मी का अर्थ क्या है?
गजलक्ष्मी, जिसे गजलक्ष्मी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है हाथियों के साथ लक्ष्मी , हिंदू देवी लक्ष्मी के सबसे महत्वपूर्ण अष्टलक्ष्मी पहलुओं में से एक है। इस पहलू में, देवी को कमल पर विराजमान दिखाया गया है, जिसके दोनों ओर एक हाथी (गज) है।