सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बुधवार को जिला चिकित्सालय सतना का निरीक्षण कर रिनोवेशन प्लान एवं चिकित्सा सुविधा विस्तार के कार्यों का जायजा लिया। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ केएल सूर्यवंशी, आरएमओ डॉ अमर सिंह, पीआईयू के कार्यपालन यंत्री बीएल चौरसिया तथा विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।
सतना शासकीय मेडीकल कॉलेज से सरदार बल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय सतना को संबद्ध करने आवश्यक चिकित्सा सेवा और सुविधाओं के विस्तार के रिनोवेशन के प्रस्तावित कार्यों का कलेक्टर ने अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि सतना जिला अस्पताल को मेडीकल कॉलेज से संबद्धता के लिये अभी उपलब्ध 400 बेडो की संख्या बढ़ाकर 500 बेड की जायेगी। इसके लिये 100 बिस्तरीय अस्पताल भवन पृथक से बनाया जायेगा। मेडीकल कॉलेज से संबद्धता के लिये मापदंड के अनुसार जिला चिकित्सालय से सभी वार्डों का अपग्रेडेशन भी किया जायेगा। कलेक्टर श्री वर्मा ने जिला चिकित्सालय की ट्रामा यूनिट और एसएनसीयू वार्ड का भी निरीक्षण किया और अपग्रेडेशन के प्रस्तावित कार्यों की जानकारी ली।
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विद्यालयों में लगाए जा रहे फलदार वृक्षों की उन्नत किस्में
स्थानीय स्तर पर फल उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह एक अनूठी पहल – कलेक्टर वर्मा
देश के विभिन्न भागों से फलदार उन्नत किस्मों को पौषकीय वाटिका के रूप में किया जा रहा तैयार
दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, मझगवां द्वारा सेन्टर फॉर फ्रूटफुल इंडिया (सीएफएल) के सहयोग से फलदार वृक्ष लगाओ, फल खाओ, स्वस्थ रहो अभियान के तहत मझगवां विकासखंड के विद्यालयों एवं ग्राम केन्द्रों पर फलदार वृक्षों की उन्नत किस्मों के पौधों का रोपण कराया जा रहा है। बुधवार को कलेक्टर अनुराग वर्मा, सीईओ जिला पंचायत डॉ परीक्षित झाड़े, एसडीएम पीएस त्रिपाठी, तहसीलदार नितिन झोंड़ एवं महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र यूबी तिवारी द्वारा चित्रकूट के पीली कोठी स्थित अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बच्चों के आवासीय विद्यालय रामनाथ आश्रम शाला में फलदार वृक्षों का रोपण किया गया। इस अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, केवीके मझगवां के प्रभारी डॉ राजेन्द्र सिंह नेगी भी उपस्थित रहे।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रकृति आधारित फलों की जैव विविधता स्थापित कर स्थानीय स्तर पर मानव के उत्तम स्वास्थ्य के लिए खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। किसानों को फल वृक्षों की उन्नत एवं अच्छी किस्मों को प्रदर्शित करके उन्हें फलों की खेती के प्रति उत्साहित करने के अतिरिक्त फल उत्पादन की नई प्रौद्योगिकी को किसानों के बीच ले जाना है।
सीएफएल के माध्यम से सतना जिले के मझगवां विकासखण्ड में क्षेत्र के लिए अनुकूल फल वृक्षों की उन्नत किस्मों को भारत के विभिन्न भागों से लाकर लगाने का प्रयत्न किया जा रहा है। परियोजना के प्रथम चरण में आम, अमरुद, बेर, बेल, नींबू, लेमन, शरीफा, पपीता, जामुन, करौंदा एवं कटहल आदि की उन्नत किस्मों को देश के विभिन्न भागों से मंगवाकर कृषकों के घर के आसपास खाली जगह पर एवं विद्यालयों के प्रांगण में पौषकीय वाटिका के रूप में लगाया जा रहा है। इन किस्मों के अधिकतर पौधों में 2-3 वर्षों में ही फल आ जाते हैं।
कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि इस सेवा कार्य में सहयोग के लिए सीएफ़एल इंडिया जो कि एलायंस ऑफ़ बायोवार्सिटी इंटरनेशनल और सीआईएटी एशिया भारत के साथ कार्यरत है एवं दीनदयाल शोध संस्थान के प्रयासों से स्थानीय स्तर पर फल उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह एक अनूठी पहल है।
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि स्थानीय स्तर पर फलोत्पादन से जहाँ एक और लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। हजारों किलोमीटर दूर से ट्रक के द्वारा पौधों को लाने की समस्या से भी निजात मिलेगी। पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी यह प्रयास काफी सहायक होगा। आमतौर पर अपने क्षेत्र के किसान सामान्यतः कुछ ही प्रकार के फल वृक्ष लगाते हैं, जबकि कई अन्य क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फल उत्पादित किये जा रहे हैं। इस प्रयास से परिवारों द्वारा अपनी आवश्यकता अनुसार फल का उत्पादन तो होगा ही साथ ही साथ उन्हें साल भर अपनी आवश्यकता अनुसार फल उत्पादन करने के लिए उत्साहवर्धन भी होगा, इन सब कार्यों में दीनदयाल शोध संस्थान, कृषि विज्ञानं केन्द्र मझगवां, सीएफएल प्रोजेक्ट द्वारा किसानों को फलों की अच्छी प्रजाति के पौधे एवं तकनीकी सहायता प्रदान करके फलों के उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रयास करेगा।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ राजेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत आगामी वर्षों में उन्नत किस्मों की प्रमाणिक सामुदायिक नर्सरी को भी मझगवां विकासखंड में विकसित किया जायेगा। फल स्वरुप भविष्य में अच्छी किस्म के पौधे क्षेत्र के किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो सकेंगे। फल उत्पादन के लिए विद्यालयों, मंदिरों एवं समस्त सामाजिक सस्थाओं के सहयोग से फल वृक्षों की खेती के लिए उत्साहवर्धन किया जायेगा। यदि हर घर में एक एक नीम्बू का पौधा लगा दिया जाए तो वर्ष के अधिकांश महीनों में आवश्यकता अनुसार फल मिलते रहेंगे एवं विटामिन-सी की आवश्यकता की पूर्ति होती रहेगी। इसी प्रकार अमरुद के फल स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ-साथ घर में ही उपलब्ध हो जाने से बाजार से इन्हें खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। गांवों में अधिक संख्या में पौधे लगाकर, घर की आवश्यकता के अतिरिक्त उत्पादित फलों को स्थानीय समुदाय एवं बाजार में उपलब्ध कराने से जीवन यापन में सहयोग मिलेगा।