पहली बार जैव विविधिता प्रबंधन समिति भी बनेगी
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1994 की धारा 47 के तहत जनपद और जिला पंचायत की स्थायी समितियों के गठन का प्रावधान है। नियम के तहत इन पंचायतों में 5 स्थायी समितियों के अलावा स्वास्थ्य, महिला बाल कल्याण समिति एवं वन समिति सहित 7 समितियां गठित की जा रही थी। मध्यप्रदेश जैव विविधिता नियम 2004 के तहत राज्य शासन ने वर्ष 2020 से जैव विविधता प्रबंधन समितियां भी गठन करने के प्रावधान किये है।
मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 46 के तहत ग्राम पंचायतें अपने कर्त्तव्यों और कृत्यों के निर्वहन के लिये 3 स्थायी समितियों का गठन कर सकेगी। कोई भी व्यक्ति एक समय में दो से अधिक समितियों का सदस्य नही होगा। इसी प्रकार धारा 47 के तहत जनपद पंचायत और जिला पंचायत अपने निर्वाचित सदस्यों में से 5 स्थायी समितियों सामान्य प्रशासन समिति, कृषि समिति, शिक्षा समिति, संचार तथा संकर्म समिति, सहकारिता और उद्योग समिति के अलावा स्वास्थ्य, महिला बाल विकास समिति, वन समिति एवं जैव विविधता प्रबंधन समिति का भी गठन कर सकेगी। सामान्य प्रशासन समिति में सभी स्थायी समितियों के सभापति सदस्य होंगे। सामान्य प्रशासन समिति को छोड़कर प्रत्येक समिति में कम से कम 5 सदस्य होंगे। जो यथा स्थिति जनपद पंचायत या जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा अपने में से ही विहित रीति से चुने जायेंगे। जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति और शिक्षा समिति को छोड़कर प्रत्येक समिति में निर्वाचित सदस्यों में से ही सभापति का निर्वाचन किया जायेगा। सामान्य प्रशासन समिति का पदेन सभापति यथास्थिति जनपद पंचायत अथवा जिला पंचायत के अध्यक्ष और शिक्षा समिति का पदेन सभापति यथास्थिति जनपद पंचायत अथवा जिला पंचायत का उपाध्यक्ष होगा। जनपद पंचायत अथवा जिला पंचायत का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष उस समिति से भिन्न किसी अन्य समिति का सदस्य नहीं हो सकेगा। कोई भी व्यक्ति एक ही समय में तीन से अधिक समितियों (सामान्य प्रशासन समिति को छोड़कर) का सदस्य नहीं होगा।
विधानसभा का प्रत्येक ऐसा सदस्य जो जनपद पंचायत का सदस्य है, उस पंचायत की प्रत्येक समिति का पदेन सभापति होगा। इसी प्रकार संसद का प्रत्येक ऐसा सदस्य जो जिला पंचायत का सदस्य है, उस पंचायत में अपनी पसंद की किन्हीं दो समितियों का पदेन सदस्य होगा। जिला पंचायत की प्रत्येक समिति में दो से अनाधिक ऐसे विधानसभा सदस्य जो उस पंचायत क्षेत्र से हैं, इस प्रकार सहयोजित किये जायेंगे कि विधानसभा का कोई भी सदस्य दो से अधिक समितियों का सदस्य नहीं होगा। जिला पंचायत और जनपद पंचायत की शिक्षा समिति के सदस्यों में कम से कम एक महिला तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग का एक व्यक्ति होगा।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डॉ परीक्षित झाड़े ने समस्त जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायतों की स्थायी समितियों के गठन के संबंध में शासन के निर्देश भेजते हुये गठन की कार्यवाही की जानकारी निर्धारित प्रपत्रों में उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं।
हर गांव में हरी-भरी चौपाल बनाने के लिए किया जा रहा वृक्षारोपण
रीवा संभाग के हर गांव में हरी-भरी चौपाल बनाने के लिए अंकुर अभियान के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा है। कमिश्नर अनिल सुचारी के निर्देशों के अनुसार संभाग के सभी जिलों के सभी गांव में 21 अगस्त से हरी-भरी चौपाल बनाने के लिए वृक्षारोपण एवं चबूतरा बनाने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से ग्राम पंचायतों में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ गांव की चौपाल की पुरानी परंपरा को भी पुनर्जीवित भी किया जा सकेगा। वृक्षारोपण के संबंध में संयुक्त आयुक्त निलेश परीख ने बताया कि सतना जिले के रामनगर विकासखण्ड की 55 ग्राम पंचायतों के 78 गांवों में वृक्षारोपण किया गया। साथ ही 55 ग्रामों में चबूतरा निर्माण का कार्य आरंभ हो चुका है। रीवा जिले के मऊगंज विकासखण्ड की 82 ग्राम पंचायतों के 334 गांवों में 163 स्थानों पर वृक्षारोपण किया गया तथा चबूतरा निर्माण के लिए स्थल का चयन किया जा चुका है। विकासखण्ड रीवा में 92 ग्राम पंचायतों के 112 स्थानों पर वृक्षारोपण किया गया।
विकासखण्ड रायपुर कर्चुलियान की 58 ग्राम पंचायतों के 197 ग्रामों में वृक्षारोपण किया गया एवं चबूतरे के लिए स्थान निर्धारित किए गए।
संयुक्त आयुक्त ने बताया कि विकासखण्ड मैहर के 237 गांवों में से 178 में पौधारोपण करके चबूतरा निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। सिंगरौली जिले के चितरंगी विकासखण्ड के 145 ग्रामों में वृक्षारोपण किया जा चुका है। विकासखण्ड त्योंथर की 60 ग्राम पंचायतों में वृक्षारोपण तथा चबूतरा बनाने का कार्य किया जा रहा है। विकासखण्ड सिहावल के 235 ग्रामों में वृक्षारोपण किया गया। यहाँ 124 गांवों में चबूतरा निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है। इसी तरह अन्य विकासखण्डों में भी वृक्षारोपण तथा चबूतरा निर्माण का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं पंचायत पदाधिकारी भी अपना योगदान दे रहे हैं।