सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ राज्य सरकार द्वारा संत रविदास स्व-रोजगार योजना को आरम्भ करने का मुख्य उद्देश्य कमजोर आय वर्ग नागरिकों का सामजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ऋण का लाभ आर्थिक सहयोग के रूप में प्रदान करने के लिए किया गया है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार हो सकेगा। इसके लिए स्व-रोजगार की शुरुआत करने वाले नागरिकों को संत रविदास स्व-रोजगार योजना आवेदन करना आवश्यक होगा, जिसके बाद ही उन्हें ऋण का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
18 से 40 वर्ष आयु वर्ग के लोग हैं योजना के लिये पात्र
संत रविदास स्व-रोजगार योजना अंतर्गत आवेदक जिले का मूल निवासी हों एवं उसकी आयु 18 से 40 वर्ष के मध्य हो। इसके साथ ही वह सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग का सदस्य होना चाहिये एवं उसकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदक को वर्तमान में राज्य अथवा केंद्र सरकार की किसी अन्य स्व-रोजगार योजना का हितग्राही नहीं होना चाहिये एवं किसी बैंक या वित्तीय संस्था का डिफॉल्टर नहीं हो। योजना अंतर्गत आर्थिक सहायता का लाभ आवेदक को एक बार ही दिया जायेगा।
एक लाख से 50 लाख तक के ऋण की सहायता
संत रविदास स्व-रोजगार योजनांतर्गत उद्योग विनिर्माण इकाई जैसे एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग एवं इसी प्रकृति की अन्य परियोजना के लिये एक लाख 50 लाख तक के ऋण का प्रावधान है। दूसरी श्रेणी में सेवा इकाई एवं खुदरा व्यवसाय जैसे ब्यूटी पॉर्लर, वाहन मरम्मत, फुटवेयर मरम्मत, किराना व्यवसाय, कपड़ा व्यवसाय के लिये केवल अनुसूचित जाति वर्ग के आवेदकों को एक लाख से 25 लाख रुपये तक की परियोजना राशि के ऋण का प्रावधान है। आवेदक की आय 12 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिये।
वित्तीय सहायता
अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित या शेष ऋण पर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान अधिकतम 7 वर्षों तक नियमित रुप से ऋण भुगतान की शर्त पर दिया जायेगा एवं गारंटी फीस मध्यप्रदेश शासन द्वारा देय होगी।