Sri lanka Crisis: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने के बावजूद हिंसा की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। सत्तारुढ़ दल के नेताओं और मंत्रियों के घरों के अलावा सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में हिंसा को रोकने के लिए रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेनाओं को, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले या किसी के जीवन को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है। आपातकाल के बीच हिंसक हो चुके विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 12 मई की सुबह 7 बजे तक कर्फ्यू को बढ़ा दिया गया है। साथ ही सरकार ने सेना और पुलिस को आपातकालीन शक्तियां सौंप दी हैं। सरकार ने गजट नोटिफिकेशन में कहा कि सेना के लिए नई शक्तियों का मतलब है कि वे लोगों को पुलिस को सौंपने से पहले 24 घंटे तक हिरासत में रख सकते हैं, जबकि निजी वाहनों समेत निजी संपत्ति की कभी भी तलाशी ली जा सकती है।
आपको बता दें कि देश इस वक्त सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ से रहा है और दिवालिया होने की कगार पर है। इसकी वजह से मौजूदा सरकार के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन और दंगे हो रहे हैं। एक महीने से ज्यादा समय से हो रहे प्रदर्शन इस हफ्ते तक तो शांतिपूर्ण रहे, लेकिन अब हिंसा होने लगी है। एक दिन पहले ही भीड़ ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाये हैं।
बढ़ता जा रहा है जनता का आक्रोश
श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को कोलंबो में भंडारनायके अंतरराष्ट्री य हवाई अड्डे (BIA) की ओर जाने वाली सड़क पर एक खुद का चेक पोस्ट बना लिया। ऐसा राजपक्षे परिवार के वफादारों को देश से भागने से रोकने के लिए किया गया है। श्रीलंका में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा, देश में घोर आर्थिक संकट पर उन्हें हटाने की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद सोमवार को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई। वहीं, कोलंबो और अन्य शहरों में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं।