Russia-Ukraine War: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ रूस ने रविवार को यूक्रेनी शहर मारियुपोल (Mariupol) पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन यहां के एक स्टील प्लांट में छिपे करीब 2500 यूक्रेनी सैनिकों ने हथियार डालने से इंकार कर दिया है। चारों तरफ से घिरे इन सैनिकों के रुस ने सरेंडर करने के लिए रविवार 6 बजे ( रुसी समय) तक का समय दिया है। इसके अलावा यूक्रेन का ये दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह पूरी तरह से रूस के कब्जे में है। हालांकि, अल्टीमेटम के कई घंटे बाद भी यूक्रेनी लड़ाकों की तरफ से सरेंडर करने का कोई संकेत नहीं आया है। यूक्रेन के सैनिक आज़ोव सागर के किनारे पर एक बड़े अज़ोवस्टल स्टीलवर्क्स प्लांट में छिपे हैं। अज़ोवस्टल स्टीलवर्क्स यूरोप के सबसे बड़े मेटलर्जिकल प्लांट में से एक है और इस वक्त यूक्रेनी सैनिकों के प्रतिरोध का फाइनल स्टैंड बन गया है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 24 फरवरी के आक्रमण के बाद से देश उत्तरी हिस्से में रूसी सेना कुछ खास नहीं कर पाई। इसके बाद रूसियों ने अपना ध्यान पूर्वी डोनबास रीजन पर केंद्रित किया है, जहां मारियुपोल मुख्य बंदरगाह है। करीब सात सप्ताह की घेराबंदी के बाद आखिरकार यह रूसी बलों के कब्जे में जाता दिख रहा है। रूसी सेना ने रविवार को इस विशाल इस्पात संयंत्र को नष्ट कर दिया, लेकिन रूसी सेना का अनुमान है कि लगभग 2,500 यूक्रेनी सैनिक इस इस्पात संयंत्र में भूमिगत मार्ग में मौजूद हैं और युद्ध कर रहे हैं। यूक्रेनी अधिकारियों ने इस संबंध में किसी संख्या का जिक्र नहीं किया है।
मारियुपोल पर कब्जा करना रूस का अहम रणनीतिक लक्ष्य है। ऐसा करने से उसे क्रीमिया तक जमीनी गलियारा मिल जाएगा। इसके अलावा मारियुपोल में जीत के बाद रूसी सेना डोनबास की ओर बढ़ सकेगी। रूसी सेना ने शनिवार को कीव, पश्चिमी यूक्रेन और इससे सटे इलाकों में हमले तेज कर दिए। यह कार्रवाई यूक्रेन के लागों और उनके पश्चिमी समर्थकों को इस बात की याद दिलाती है कि रूस के पूर्व की ओर नए सिरे से हमले तेज करने के बावजूद पूरा देश खतरे में है।