नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
सतना/सेमरिया,भास्कर हिंदी न्यूज़/ नगर पंचायत सेमरिया के बकिया तिराहा स्थित हेमराज पांडे एडवोकेट के निज निवास में 10 अप्रैल से चल रही संगीत मय श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन वृंदावन धाम से पधारे राष्ट्रीय संत राजेंद्र जी महाराज ने बलि-वामन प्रसंग श्री राम चरित्र और श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई।
महराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आज का इंसान भगवान राम का एक चरित्र भी अपने जीवन में उतार ले तो उसकी जिदगी सफल हो सकती है। भगवान राम के जीवन में अनेक दुख आने पर भी उन्होंने न तो कभी धैर्य छोड़ा और न ही कभी मर्यादा का उल्लंघन किया। इसीलिए प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने बलि और भगवान वामन तथा श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। जन्मोत्सव के अवसर पर पूरे कथा पंडाल को दुल्हन की भांति सजाया गया।
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम एवं श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पंडाल में उपस्थित हजारों भक्तों को भागवत कथा सुनाते हुए महाराज जी ने बामन अवतार, नरसिंह अवतार, भक्त पहलाद कथा, राम और कृष्ण जन्म कथा के सुंदर चरित्र प्रसंग की अदभुत लीलाओं का भक्तों को श्रवण रसपान कराया। भागवताचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार और पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त करने के लिए इस धरती पर अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि हुई है, तब-तब धरती पर भगवान अवतरित हुए हैं। वही अत्याचारी कंस के पापों से भी जब धरती डोलने लगी, तब भगवान नारायण को अत्याचारी कंस के पापों से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए श्री कृष्ण जन्म के रूप में इस धरा धाम पृथ्वी पर अवतरित होना पड़ा तथा पापियों का नाश किया।
इस दौरान भागवत कथा मैं जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, भक्तगण भाव विभोर होकर कृष्ण जन्मोत्सव में झूम उठे। भक्तों की भारी भीड़ भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन को उमड़ पड़ी। भक्तों ने एक दूसरे को कृष्ण जन्मोत्सव की बधाइयां देते हुए भगवान श्री कृष्ण के ऊपर सुंदर सुगंधित फूलों की वर्षा करते हुए नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की, के भक्ति गीत पर जमकर नृत्य किया। जन्मोत्सव उपरांत भगवान श्री कृष्णा की भव्य आरती की गई। आरती पूजा का कार्य जेपी शास्त्री जी के द्वारा संपन्न कराया गया।