सीधी, भास्कर हिंदी न्यूज़/ संजय टाइगर रिजर्व दुबरी की टी-18 के शावक रोजाना देखे जा रहे हैं। अब तो वह शिकार भी खुद करने लगे हैं। इनकी निगरानी के लिए अत्याधुनिक तरीके को भी अपनाया गया है। बुधवार को शावकों ने एक बकरे का खुद शिकार किया है। पर्याप्त शिकार करें इसके लिए बकरे और पड़ा बांधा जा रहा है। बता दें कि संजय टाइगर रिजर्व के बड़ियां बिटखुरी जंगल में मालगाड़ी की टक्कर लगने से टी -18 बाघिन 16 मार्च को गंभीर रूप से घायल हो गई थी और 17 मार्च की शाम को मौत हो गई।
संजय टाइगर रिजर्व के टी -18 बाघिन के चार शावक जिनकी उम्र 8 माह वह मां की मौत के बाद अकेले हो गए थे। सभी 2 दिन तक लगातार मां को ढूंढने में लगे रहे, इस बीच शिकार भी नहीं किया। रिजर्व दल का अमला भी इन्हें ढूंढने के लिए तरह-तरह के उपाय करते रहे। एक दिन शावक अपने पिता टी- 26 के साथ देखने को मिले। इनकी निगरानी के लिए 3 हाथी, सात की संख्या में श्रमिक, तीन वनरक्षक और एक गाड़ी लगी हुई है। इतना ही नहीं कई स्थानों पर तो जरूरत के हिसाब से कैमरा भी लगाया गया है ताकि इन्हें आते जाते हुए देखा जा सके। बताया गया है कि वह स्वस्थ देखे जा रहे हैं।
सीख रहे शिकार करना
जानकारों की माने तो शावक पहले मां के शिकार के बाद उसे खाया करते रहे हैं दरअसल इनकी उम्र छोटी है। टी 18 बाघिन को शिकार करते शावक देखें रहे होंगे। ऐसे में वह जल्द ही शिकार करने लगे। शिकार करने का तरीका टी-18 जैसा ही है।
जहां मां ने छोड़ा वही दिखे
बाघिन टी -18 जिस स्थान पर छोड़कर गई थी उसी जंगल के आसपास यह चारों शावक एक साथ देखे जा रहे हैं। शावकों में वही चंचलता देखी जा रही है। बताया गया है कि टी – 18 का पसंदीदा जंगल बघ नाथ, पेंड्रा के अलावा कई ऐसे जंगल हैं जहां वह अपने शावकों के साथ सैर किया करती थी। यह भी कह सकते हैं कि मां की ममता को अभी भी शावक ढूंढ रहे हैं।
इनका कहना है
टी -18 के चारों शावक एक साथ देखे जा रहे हैं। यह मंगलवार को बकरे का शिकार भी किए हैं। इनकी निगरानी के लिए रिजर्व दल का अमला तैनात किया गया है।
– वाइपी सिंह, सीसीएफ संजय टाइगर रिजर्व सीधी