सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ उचेहरा अंतर्गत परसमनिया क्षेत्र के धनिया गांव में बीते एक सप्ताह से बाघिन का खौफ ग्रामीणों में बना हुआ है। पांच नवंबर को बाघिन ने ग्रामीण सहित वनरक्षक पर भी हमला किया था जिसके बाद से लोग अधिक दहशत में हैं। इसके एक दिन बाद ही गांव से ही मादा तेंदुआ को भी पकड़ा गया था लेकिन क्षेत्र में बाघिन की भी मौजूदगी बनी हुई है। ग्रामीणों ने हमले के दौरान खुद बाघिन का दीदार किया था। इस घटना के बाद से ही वन विभाग का अमला बाघिन के ट्रैप करने में लगा हुआ है लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल पा रहा है। बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने मुकुंदपुर से पिंजरा और ट्रैप कैमरे मंगवाए हैं और धनिया बीट में लगवाए गए हैं ताकि किसी तरह बाघिन को पकड़ा जा सके।
दो शावक की भी जानकारी
क्षेत्र में बाघ के पंजों के निशान वन विभाग को मिले थे और दूसरे ही दिन तेंदुआ का भी हमला हुआ था जिसके बाद तेंदुआ पकड़ लिया गया। इस घटना के बाद वन विभाग के अधिकारी भी असमंजस की स्थिति में थे। वही मुुकुंदपुर से वन्यजीव विशेषज्ञों को भी बुलवाया गया था। सतना एसडीओ का कहना है कि जो पंजे के निशान मिले थे वह बाघ के ही हैं। लेकिन यह बाघ पन्नाा का भी नहीं है क्योंकि वहां के बाघों में कॉलर आईडी लगी है जिससे बाघों के मूवमेंट और उसकी पहचान हो जाती है। लेकिन बीते दिनों जो हमला बाघ ने वनकर्मी पर किया था वह बाघिन थी जिसे वनकर्मी ने भी देखा था। ग्रामीणों के अनुसार इसके दो शावक भी क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं।
पिंजरे में भी नहीं फंस रही
बाघिन को पकड़ने के लिए धनिया गांव में आस-पास पिंजरा लगाया गया है जिसमें अब तक बाघिन नहीं फंस पाई है। इसी तरह ट्रैप कैमरों में भी बाघिन नजर नहीं आई है। वन विभाग के अनुसार बाघिन घूमते-घूमते किसी दूसरे क्षेत्र में जा सकती है। जिसे ढूंढने के लिए लगातार सर्चिंग वनकर्मी कर रहे हैं। वहीं जिला अस्पताल में भर्ती बाघिन के हमले में घायल वनरक्षक की हालत में भी सुधार हो रहा है।
इनका कहना है
बाघिन को ट्रेस किया जा रहा है। इसके लिए धनिया वनक्षेत्र में पिंजरा लगाया गया है। साथ ही जगह-जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि बाघिन का मूवमेंट कैमरों में रिकार्ड हो जाए और इसी आधार से उसे पकड़ने में मदद मिल सके। लेकिन अब तक बाघिन पकड़ में नहीं आई है।
-डीपी सिंह, एसडीओ, सतना वन मंडल