रीवा,भास्कर हिंदी न्यूज़/ विंध्य में शनिवार की देर रात से चालू हुआ रिमझिम बारिश का दौर रविवार को भी जारी रहा। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो यह बारिश किसानों के चेहरे में खुशी ला रही है। क्योकि इन दिनों खेतों में तैयार हो रही फसलों के लिए पानी की सख्त जरूर थी और बारिश हो जाने से फसलों को लाभ होगा।
उपार्जन केंद्रों में भीग रही धान
बारिश होने से सबसे ज्यादा समस्या उपार्जन केंद्र में खुले में रखी धान को लेकर सामने आ रही है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने किसान फसल लेकर धान खरीद केंद्र पहुच रहे है, लेकिन रात में शुरू हुई बारिश से कई समितियों में धान भीगने की भी खबरें आ रही हैं। रविवार को भी सुबह से मौसम का मिजाज तेज रहा है और जिस तरह से मौसम बना हुआ उससे मौसम साफ होने की उम्मीद नही है यानि अभी बारिश का दौर आगे भी जारी हो सकता है।
उत्तर भारत में बने चक्रवात का असर
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोप के साथ ही राजस्थान में चक्रवात बना हुआ है। जिसका असर रीवा सहित विंध्य क्षेत्र में पड़ रहा है। इससे गरज चमक के साथ बारिश व बूंदाबांदी होती रहेगी। 11 जनवरी तक इसी तरह मौसम का मिजाज बने रहने की संभावना है।
इन फसलों पर असर
मौसम की मार दलहनी फसलों पर पड़ सकती है। सबसे ज्यादा अरहर की फसल और मसूर में जंहा पहले तेज ठंड के चलते पाला लगने के संभावना बनी हुई थी वही बारिश का असर ज्यादा हुआ तो दलहनी फसलों को पानी नुकसान भी पहुचा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि चना और मसूर की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में ज्यादा बारिश से हानि होगी, जबकि गेहूं की फसलों पर पानी का कोई असर नहीं पड़ेगा। ग्रामीण अंचल में बिजली आपूर्ति की शिकायत सामने आई। वहीं शहरी क्षेत्र में भी बिजली कटौती का दौर जारी रहा।
6 मिमी हुई बारिश
स्थानीय मौसम विभाग के अनुसार रीवा का न्यूनतम तापमान 9.7 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं कल रात से अब तक 16.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जा चुकी है जो कि एक इंच के करीब पहुंच रही है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में एक बार फिर कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है। वहीं आसमान से बादल एक-दो दिन बाद ही छट पाएंगे।
पांच लाख क्विंटल खरीद केंद्रों में भीगा धान
रीवा में हो रही लगातार बारिश से त्योंथर, जवा, पडरी, रायपुर, गढ़ व मऊगंज के खरीद केंद्रों में बीते दिनों से अब तक पांच लाख क्विंटन धान भीग चुकी है। ज्ञात हो कि समर्थन मूल्य पर किसानों से तो धान खरीद लिया गया। लेकिन धान का समय पर खरीद केंद्रों से परिवहन नहीं होने और धान पर सही ढंग से तिरपाल ढंके नहीं होने से धान बारिश में भीग गया है। इससे प्रशासन को राजस्व की हानि हो रही है।