सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ राज्य निर्वाचन आयुक्त बंसत प्रताप सिंह ने बताया है कि त्रि-स्तरीय पंचायत के आम निर्वाचन वर्ष 2021-22 के प्रथम और द्वितीय चरण के लिए नाम निर्देशन-पत्र भरने की प्रक्रिया 13 दिसंबर को शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि अभ्यर्थियों से नाम निर्देशन-पत्र प्राप्त करने के लिए सभी तैयारियाँ जिलों में पूरी कर ली गई हैं।
पंचायत निर्वाचन के प्रथम और द्वितीय चरण के लिये नाम निर्देशन-पत्र प्राप्त करने का कार्य 13 दिसम्बर और तृतीय चरण के लिये 30 दिसम्बर को शुरू होगा। नाम निर्देशन-पत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख प्रथम और द्वितीय चरण के लिये 20 दिसम्बर और तृतीय चरण के लिये 6 जनवरी है। नाम निर्देशन-पत्रों की संवीक्षा प्रथम और द्वितीय चरण के लिये 21 दिसम्बर और तृतीय चरण के लिये 7 जनवरी को होगी। अभ्यर्थिता से नाम वापस लेने की अंतिम तारीख और निर्वाचन प्रतीकों का आवंटन प्रथम और द्वितीय चरण के लिये 23 दिसम्बर और तृतीय चरण के लिये 10 जनवरी को अपराहृ 3 बजे तक है। मतदान (यदि आवश्यक हों) प्रथम चरण के लिये 6 जनवरी, द्वितीय चरण के लिये 28 जनवरी और तृतीय चरण के लिये 16 फरवरी 2022 को सुबह 7 बजे से अपराहृ 3 बजे तक होगा।
मतगणना तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा
मतदान केन्द्र पर पंच और सरपंच पद के लिये मतगणना मतदान समाप्ति के तुरंत बाद की जाएगी। जनपद पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य की विकासखण्ड मुख्यालय पर ईव्हीएम से मतगणना प्रथम चरण के लिये 10 जनवरी, द्वितीय चरण के लिये एक फरवरी और तृतीय चरण के लिये 20 फरवरी 2022 को सुबह 8 बजे से की जाएगी। पंच और सरपंच पद के निर्वाचन परिणाम की घोषणा प्रथम चरण के लिये 11 जनवरी, द्वितीय चरण के लिये 2 फरवरी और तृतीय चरण के लिये 21 फरवरी 2022 को सुबह 10ः30 बजे से की जाएगी। जनपद पंचायत सदस्य के लिये निर्वाचन परिणाम की घोषणा प्रथम, द्वितीय और तृतीय चरण के लिये 22 फरवरी को और जिला पंचायत सदस्यों के लिये 23 फरवरी 2022 को सुबह 10ः30 बजे से की जाएगी।
आवश्यक होने पर महिला कर्मचारियों को मतदान अधिकारी 2 और 3 बनाया जायेगा
त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन वर्ष 2021-22 में मतदान दलों के गठन के दौरान पुरुष कर्मचारियों की कमी हो तो एक मतदान दल में 2 महिला कर्मचारियों की मतदान अधिकारी क्रमांक 2 और 3 के रूप में नियुक्ति की जाएगी। महिला मतदान अधिकारी की ड्यूटी उसी विकासखंड में लगेगी, जहां वह कार्यरत होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान कार्मिकों के प्रबंधन संबंधी जारी निर्देशों में ऐसी महिला मतदान अधिकारी को मतदान की पूर्व संध्या से ही मतदान केंद्र में उपस्थित रहने की अनिवार्यता से छूट भी प्रदान की है। महिला मतदान कर्मी को मतदान शुरू होने से एक घंटे पूर्व मतदान केंद्र पर उपस्थित होना होगा।
पंचायत निर्वाचन में राज्य सरकार द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः दी गई निधियों द्वारा नियंत्रित पूर्णरूपेण वित्त पोषित संस्थाओं, शासकीय सेवक और स्थानीय प्राधिकारी का सेवक ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जा सकेगा। सहकारी संस्थाओं तथा कृषि उपज मंडी समितियों के कर्मचारी इस श्रेणी में नहीं आते। इसलिए इन्हें पीठासीन अधिकारी नियुक्त नहीं किया जाएगा। उनकी सेवाओं का उपयोग मतदान अधिकारी के रूप में किया जा सकेगा। मतदान दलों का गठन विकासखंड के कुल मतदान केंद्रों की संख्या से 20 प्रतिशत अधिक संख्या में किया जाएगा। राज्य शासन के कर्मचारियों से पूर्ति नहीं हो पा रही है तो केंद्र शासन, बैंक, जीवन बीमा निगम के अधिकारी-कर्मचारियों को मतदान दलों में शामिल किया जा सकेगा।
मतदान कर्मियों के लिए शासकीय कर्मचारियों की कमी पर मतदान दलों के 3 वर्ष से अधिक सेवा वाले संविदा कर्मचारियों को भी शामिल किया जा सकेगा। लेकिन इन्हें पीठासीन अधिकारी और मतदान अधिकारी क्रमांक एक नहीं बनाया जाएगा। इन्हें मतदाता अधिकारी 2, 3 और 4 बनाया जा सकेगा। अत्यावश्यक सेवाओं जैसे-लोक स्वास्थ्य, जल प्रदाय, परिवहन, दुग्ध प्रदाय, वाणिज्यिक कर आबकारी, पंजीयन एवं मुद्रक तथा विद्युत प्रदाय में संलग्न फील्ड स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों को मतदान दलों में सम्मिलित नहीं किया जायेगा। परन्तु संबंधित विभागों के उन कर्मचारियों की निर्वाचन में ड्यूटी लगायी जा सकती है जो कार्यालय में कार्य करते है।
न्यायिक सेवा के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्वाचन ड्यूटी से मुक्त रखा गया है, अतएव उनकी ड्यूटी निर्वाचन में नहीं लगायी जायेगी। किसी विकासखंड के अंतर्गत पदस्थ किसी अधिकारी-कर्मचारी को उसी विकासखंड के किसी मतदान केन्द्र पर पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जायेगा। कोई भी अधिकारी-कर्मचारी जो किसी विकासखंड का मूल निवासी हो, उसके अंतर्गत आने वाले किसी मतदान केन्द्र में पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया जायेगा। 60 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों तथा दिव्यांग अथवा निःशक्त कर्मचारियों को मतदान दल में शामिल नहीं किया जाएगा। ऐसे कर्मचारियों से निर्वाचन संबंधी अन्य कार्य सम्पादित कराये जा सकते है। निर्वाचन के पश्चात प्रत्येक मतदान केन्द्र पर ही पंच एवं सरपंच पद के मतों की गणना का कार्य ‘आपवादिक मामलों को छोड़कर’ किया जायेगा। यह कार्य पीठासीन अधिकारी के पर्यवेक्षण तथा निर्देशन में मतदान अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। पीठासीन अधिकारी का चयन वरिष्ठता और अनुभव को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक किया जायेगा, ताकि वह मतदान तथा मतगणना के समय महत्वपूर्ण और संवेदनशील कार्य को निर्भीकता, विश्वास और दक्षता के साथ सम्पन्न कर सके। यदि किसी जिलें में मतदान दल के लिये कर्मचारियों की कमी हो तो जिले के कलेक्टर अपने संभागीय आयुक्त से अपने समीप के जिलों से मतदान दल उपलब्ध कराने हेतु निवेदन कर आयोग को सूचित कर सकेगें।