Friday , July 5 2024
Breaking News

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के पास नहीं है आधार कार्ड, हो गई यह हालत

Chhattisgarh:अंबिकापुर/ छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके के पहाड़ी मैदानों में बसने वाली पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग आज भी कंदमूल को अपने भोजन का प्रमुख हिस्सा बनाए हुए हैं। इनके पूर्वज सदियों से मैनपाट, सामरी पाट, जारंगपाट, सन्नापाट जैसे पहाड़ी मैदानों में बसे हुए हैं। पहाड़ी कोरवा मूल रूप से सरगुजा, बलरामपुर और जशपुर जिलों में निवासरत हैं और इनकी आबादी बेहद कम है। इस जनजाति का अपनी एक विशेष संस्कृति है। यह आज भी प्रकृति के साथ एक अटूट रिश्ते से बंधे हुए है और पूरी तरह सादा जीवन जीते हैं। यह आज भी अपने पूर्वजों की तहर पहाड़ी जंगलों पर ही निर्भर हैं और कंदमूल इनके दैनिक भोजन का प्रमुख हिस्सा है। इस जनजाति को भारत सरकार ने विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा दिया है और यह राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी हैं।

इस विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के जीवन स्तर में विकास और उनके संरक्षण के लिए शासन ने तमाम योजनाएं संचालित की हैं, लेकिन आज भी वे शासकीय योजनाओं से वंचित हैं। और तो और सस्ता, सुलभ तरीके से मिलने वाला सरकारी राशन भी छोटी कमियों के कारण इन्हें मिलना मुनासिब नहीं है। ऐसा हाल सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत सपड़ा पंचायत में देखने को मिल जाएगा। कोरोनाकाल ने इनके लिए और भी विषम परिस्थिति बना दी थी। लॉकडाउन के दौर में ये भूख मिटाने कहां जाएं, कोई रास्ता नहीं था। ऐसे में समझा जा सकता है कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए शासन की योजनाएं कितनी कारगर साबित हो रही होंगी।

सरगुजा जिले के लुंड्रा ब्लॉक के दूरस्थ ग्राम सपड़ा में रहने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार सरकारी राशन से सिर्फ इसलिए वंचित हो गए हैं क्योंकि उनका अब तक आधार कार्ड नहीं बन पाया है। सत्ता परिवर्तन के साथ हर परिवार को सस्ता, निःशुल्क राशन पात्रता के अनुरूप देने की घोषणा भी इनकी दिक्कतों को दूर नहीं कर पाई। आज भी मजदूरी, जलावन बेचकर गुजारा करने वाले 11 पहाड़ी कोरवा परिवार इन हालातों से जूझ रहे हैं, यह सोचकर कि उनके लिए ये योजनाएं बनी ही नहीं हैं।

आधार कार्ड न होने से शासकीय योजनाओं से वंचित

कोविड के प्राथमिक दौर में ये दाने-दाने को मोहताज हो गए। राशन कार्ड नहीं होने का गम इन्हें टीस रहा है। सपड़ा ग्राम पंचायत का भेड़िया सरईपानी ऐसा गांव है, जहां के लगभग 65-70 लोगों का आधार कार्ड नहीं बन पाया है। कई ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड नहीं होने के कारण राशन कार्ड में नाम नहीं जुड़ा है। इसके बाद भी पंचायत के किसी जनप्रतिनिधि ने इनकी सुध नहीं ली। पहाड़ी कोरवा परिवार के सदस्य जब राशनकार्ड के लिए दौड़ लगाते थक-हार गए। बाद में पता चला कि बिना आधार कार्ड के उनका राशनकार्ड बनना संभव नहीं है। आधार कार्ड बनवाने के लिए फार्म भर आवश्यक औपचारिकता पूरी की, लेकिन न तो आधार कार्ड बना न राशन कार्ड। कोरोनाकाल में भी पीडीएस के राशन से इनकी भूख नहीं मिट सकी। कोरोना के प्राथमिक दौर में न तो इनके लिए काम ही सुलभ हुआ न ही ये शासन के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सहूलियतों के हकदार बन पाए।

About rishi pandit

Check Also

ढिल्लन व अरविंद सिंह 6 जुलाई तक ईडी की रिमांड पर

रायपुर  2161 करोड़ के शराब घोटाले में एक बड़ी कार्रवाई के तहत ईडी ने दो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *