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नंगे पैर खड़ीं कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा कल पद्मश्री से सम्मानित किया गया

Awards: राष्ट्रपति भवन में हुआ नागरिक अलंकरण समारोह, पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किये गये विशिष्ट लोग

Padma Award Ceremony: digi desk/BHN/नई दिल्ली/  राष्ट्रपति भवन में साल 2021 के नागरिक अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने चयनित लोगों को पुरस्कार प्रदान किये। इस साल 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री पुरस्कार दिये गये। इसके अलावा वर्ष 2020 के लिए 73 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार प्रदान किए, जिनमें चार पद्म विभूषण, आठ पद्म भूषण और 61 पद्मश्री शामिल हैं। इनमें से कुछ पुरस्कार मरणोपरांत भी दिए गए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

वर्ष 2021 के लिए जिन 7 लोगों को पद्म विभूषण मिला, उनमें जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, गायक एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत-कला), मौलाना वहीदुद्दीन खान, डॉ. बेला मोन्नपा हेगड़े, बीबी लाल, नरिंदर सिंह कपानी और कलाकार सुदर्शन साहो शामिल हैं। 10 लोगों को पद्म भूषण सम्मानित किया गया, जबकि 102 लोगों को पद्मश्री सम्मान से पुरस्कृत किया गया।

इस बार देश की जानी-मानी हस्तियों के अलावा जमीन से जुड़े कई साधारण लोगों को भी पद्म पुरस्कार मिले हैं। इस सूची में जहां एक ओर अरुण जेटली, सुषमा स्वराज,जॉर्ज फर्नांडीस, कंगना रनौत, एम .सी. मैरी कॉम, आनंद महिन्द्रा, पीवी सिंधू जैसी नामी हस्तियां रहीं, तो दूसरी ओर संतरा बेचने वाले हरेकला हजब्बा, साइकिल बनाने वाले मोहम्मद शरीफ, अब्दुल जब्बार खान, लीला जोशो, तुलसी गौड़ा, राहीबाई सोमा पोपेरे जैसे असाधारण काम करने वाले आम लोग भी शामिल रहे।

उल्लेखनीय है कि पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की जाती है। पद्म विभूषण असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए, पद्म भूषण उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए और पद्मश्री किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।

जानें कौन है तुलसी गौड़ा

नंगे पैर खड़ीं कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा कल पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन पौधों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान के चलते उन्हें इन्साइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट कहा जाता है। 12 साल की उम्र से वे अब तक 30 हजार से भी ज्यादा पौधे रोप चुकी हैं। उन्होंने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में अस्थाई तौर पर सेवाएं भी दीं और आज भी अपने ज्ञान को नई पीढ़ी के साथ बांट रही हैं। पर्यावरण के संरक्षण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

 

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