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रैगांव चुनाव में भाजपा के कुछ भस्मासुरों के षड्यंत्र का शिकार हुए पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी के आंसू उस वक्त छलक पड़े जब उनकी पार्टी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी चुनाव हार गईं। पार्टी जिलाध्यक्ष को इस पराजय की कतई उम्मीद नहीं थी।

Satna: रैगांव चुनाव: आसान नहीं रही कांग्रेस के लिए जीत की डगर, 31 साल बाद मिला जीत का स्वाद

…और रो पड़े भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी…!

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ रैगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक रहे विधायक जुगल किशोर बागरी का 10 मई 2021 को कोरोना व अन्य बीमारियों की वजह से निधन हो गया था। तब से यह सीट खाली थी और इसी सीट पर उपचुनाव हुआ है। रैगांव चुनाव में भाजपा के कुछ ‘भस्मासुरों’ के षड्यंत्र का शिकार हुए पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी के आंसू उस वक्त छलक पड़े जब उनकी पार्टी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी चुनाव हार गईं। पार्टी जिलाध्यक्ष को इस पराजय की कतई उम्मीद नहीं थी। रैगांव विधानसभा का इतिहास पुराना है। यहां भाजपा और कांग्रेस में प्रमुख रूप से टक्कर होते आई है। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी का भी यहां दबदबा रहा है। तीनों पार्टी से इस विधानसभा क्षेत्र में विधायक रहते आए हैं। सबसे पहले 1977 से अस्तित्व में आई रैगांव विधानसभा क्षेत्र में अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिनमें से पांच बार भाजपा, दो बार कांग्रेस तो एक बार बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली। वहीं दो बार अन्य दलों के भी प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। विंध्य क्षेत्र की इस विधानसभा सीट में शुरू से ही जातिगत समीकरण बने हैं। जिनमें अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की चुनाव पलटाने में अहम भूमिका रहती है। जबकि सवर्ण मतदाता को लेकर भी पार्टियां यहां साधने में जुटी रहती हैं। इस सीट पर बागरी समुदाय के सबसे ज्यादा मतदाता है जिनके समुदाय के विधायकों ने यहा सबसे ज्यादा बढ़त बनाई हैं। अनुसूचित जाति वर्ग में बागरि समुदाय के अलावा, हरिजन व कोरी समुदाय का भी वोट गणित बैठता है। वहीं अन्य पिछड़े वर्ग की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा पटेल और कुशवाहा समुदाय के मतदाता भी जीत हार का खेल बनाते हैं।

पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा को 48489 वोट मिले थे 

बीते चुनाव 2018 में रैगांव सीट में कुल 45 प्रतिशत वोट पड़ थे। जिसमें भाजपा प्रत्याशी जुगल किशोर बागरी को 65910 वोट मिले थे और विजयी घोषित हुए थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा को 48489 वोट से द्वितीय स्थान पर थीं। इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी ऊषा चौधरी ने भी 12 हजार से ज्यादा वोट पाकर तीसरे पायदान पर जगह बनाई थी।

रैगांव विधानसभा का चुनावी इतिहास

चुनाव वर्ष विजेता पार्टी जीते हारे

  • 1977 जनता पार्टी विश्वेश्वर प्रसाद रामाश्रय प्रसाद (कांग्रेस)
  • 1980 कांग्रेस रामाश्रय प्रसाद जुगल किशोर बागरी (भाजपा)
  • 1985 कांग्रेस रामाश्रय प्रसाद जुगल किशोर बागरी (भाजपा)
  • 1990 जनता दल धीरेंद्र सिंह धीरू जुगल किशोर बागरी (भाजपा)
  • 1993 भाजपा जुगल किशोर बागरी राम बहरी (बसपा)
  • 1998 भाजपा जुगल किशोर बागरी उषा चौधरी (बसपा)
  • 2003 भाजपा जुगल किशोर बागरी उषा चौधरी (बसपा)
  • 2008 भाजपा जुगल किशोर बागरी उषा चौधरी (बसपा)
  • 2013 बसपा ऊषा चौधरी पुष्पराज बागरी (भाजपा)
  • 2018 भाजपा जुगल किशोर बागरी कल्पना वर्मा (कांग्रेस)

कांग्रेस ने कल्पना पर ही खेला दांव

बीते चुनाव में जहां कांग्रेस की ही प्रत्याशी रहीं कल्पना वर्मा लगभग 18 हजार मतों से स्व, जुगुल किशोर बागरी से हार गई थीं लेकिन इस बार कांग्रेस ने एक बार फिर उनपर ही दांव खेला जो कि कांग्रेस के लिए वरदान साबित हुआ।

1983 के बाद रैगांव में आई कांग्रेस

कांग्रेस का सूखा मंगलवार को अखिर खत्म हो गया जब कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा की जीत तय हो गई। रैगांव विधानसभा में आखिरी बार कांग्रेस 1985 में जीती थी तब कांग्रेस के रामाश्रय प्रसाद स्व. जुगुल किशोर बागरी को हराकर विजयी हुए थे। लेकिन 1990 में जनता दल के धीरेंद्र सिंह धीरू ने उन्हें हरा दिया था। तब से 31 साल बात कांग्रेस एक बार फिर रैगांव की सीट पर जीत हासिल कर पाई है।

परिवार में 50 साल बाद लौटी विधायकी

कल्पना वर्मा के परिवार में एक बार फिर 50 साल बाद विधायकी लौटी है। दरअसल कल्पना वर्मा के बाबा ससुर स्व. बाला प्रसाद 1972 में नागौद सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसके बाद अब कल्पना ने रैगांव सीट से विधायकी अपने परिवार को लौटाई है।

 

 

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